कौन हैं श्रीलंका के पहले ब्लाइंड सांसद, जिनके लिए संसद में होगी विशेष व्यवस्था? जर्नी इंस्पायर करने वाली
Sri Lanka First Blind MP: बचपन में क्रिकेट खेलते समय आंखे में गेंद लगी तो दोनों आंखों की रोशनी चली गई... लेकिन जज्बा था कुछ कर गुजरने का... ऐसे में ब्लाइंड स्कूल में एडमिशन लिया, फिर कोलंबो विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर अब श्रीलंका के पहले ब्लाइंड सांसद बने हैं... उनके बैठने के लिए संसद में भी विशेष व्यवस्था की जाएगी... आइए जानते हैं Sugath Wasantha De Silva के बारे में...;
Sri Lanka First Blind MP: श्रीलंका के पहले ब्लाइंड सांसद का नाम सुगाथ वसंथा डी सिल्वा (Sugath Wasantha De Silva) हैं. उन्हें नेशनल लिस्ट सांसद के तौर पर नियुक्त किया गया है. वे नेशनल पीपुल्स पॉवर पार्टी (NPP) के नेता हैं. वर्तमान में दृष्टिबाधित स्नातक परिषद यानी काउंसिल ऑफ विजुअली इम्पेयर्ड ग्रेजुएट्स के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. अपनी आंखों की रोशनी को खोने से लेकर श्रीलंका के पहले दृष्टिहीन सांसद बनने तक का उनका सफर लोगों के लिए प्रेरणादायक है. आइए, उनकी जिंदगी से जुड़ी अनसुनी बातों के बारे में आपको बताते हैं...
सुगाथ वसंथा डी सिल्वा का जन्म गाले जिले के बालापिटिया गांव में 1967 में हुआ. उनके पिता इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में मैकेनिक थे. उनकी माता एक हाउसवाइफ यानी गृहिणी थी. वे चार भाई हैं. डी सिल्वा ने कई स्कूलों में पढ़ाई की है. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई अंबालांगोडा के धर्मासोका गांव से पूरी की.
जन्म से अंधे नहीं थे डी सिल्वा
Mawbima संडे न्यूजपेपर में प्रकाशित एक इंटरव्यू के मुताबिक, डी सिल्वा जन्म से अंधे नहीं थे. जब वे पांचवीं क्लास में थे तो क्रिकेट खेलते समय एक टेनिस की गेंद उनकी आंख पर लग गई. इस बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को नहीं बताया, लेकिन कुछ दिन बाद उनकी आंख में दर्द होने लगा.
डी सिल्वा की मां का ध्यान डी सिल्वा की आंखों पर गया तो वह उन्हें लेकर कई डॉक्टरों के पास गईं... लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.. आखिरकार उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई. उस समय वे केवल 11 साल के थे. जब गाले के महमोदारा अस्पताल (Mahamodara Hospital) के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया तो उनके पिता फूट-फूटकर रोने लगे. यह उनकी फैमिली के लिए दिल तोड़ने वाला पल था.
1979 में ब्लाइंड स्कूल किया ज्वाइन
जब आंखों की रोशनी चली गई तो डी सिल्वा को सबसे पहला लगा कि यह एक बुरा सपना था. मैंने सोचा कि मैं अगले दिन जागूंगा तो मुझे दिखाई देने लगेगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी देखने को मिला. उन्हें रतमलाना ब्लाइंड स्कूल ( Ratmalana Blind Scholl) में भेजा गया. उन्होंने 1979 में ब्लाइंड स्कूल ज्वाइन किया. यहां पर वे हॉस्टल में रहे. यह उनकी जिंदगी का टर्निंग प्लाइंट था.
सुगाथ वसंथा डीसिल्वा ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि ब्लाइंड स्कूल में मैंने ब्रेल और अन्य जरूरी स्किल्स सीखी. यहां शिक्षकों ने काफी मदद की. मैंने यहां टॉप स्टूडेंट के रूप में ऑर्डिनरी लेवल एग्जाम को पास किया. मैंने पुराने छात्रों द्वारा सिखाए गए अभिनव तरीकों का उपयोग करके अपनी शर्ट पर बटन लगाना भी सीखा. इसके बाद मैं एडंवास लेवल की पढ़ाई करने के लिए अंबालांगोडा के धर्मसोका महाविद्यालय गया. यहां मैं एकमात्र दृष्टिबाधित छात्र था, लेकिन मेरे साथियों ने मेरे साथ भाई जैसा व्यवहार किया. इससे मुझे बहुत ताकत मिली. मैं इस दौरान जेवीपी आंदोलन में गहराई से शामिल था, जिसने मेरे विश्वदृष्टिकोण को भी प्रभावित किया.
कोलंबो विश्वविद्यालय से किया स्नातक
डी सिल्वा ने इसके बाद कोलंबो विश्वविद्यालय में एडिमशन लिया. यहां उन्होंने सिंहल, राजनीति विज्ञान और इतिहास का अध्ययन किया. इसके बाद उन्होंने 1994 में इतिहास में प्रथम श्रेणी के सम्मान के साथ स्नातक किया. डी सिल्वा ने 1999 में सामाजिक सेवा अधिकारी के रूप में सामाजिक सेवा विभाग में शामिल होने से पहले कोलंबो विश्वविद्यालय के छात्र परामर्श कार्यालय में 25 साल तक काम किया.
क्या परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि थी?
डी सिल्वा कहते हैं कि मेरे पिता एक कट्टर समाजवादी थे. मेरी मां श्रीलंका फ्रीडम पार्टी का समर्थन करती थीं और मेरा बड़ा भाई JVP से जुड़ा था.
नलिनी रणसिंघे से हुई शादी
डी सिल्वा की शादी नलिनी रणसिंघे से हुई है. नलिनी भी दृष्टिबाधित हैं. उन्होंने पेराडेनिया विश्वविद्यालय से स्नातक किया है. डी सिल्वा कहते हैं कि हम दृष्टिबाधित स्नातकों के अपने छोटे समुदाय के माध्यम से मिले थे. पहले हम दोस्त बने, उसके बाद शादी कर ली. हम 20 साल से एक दूसरे के साथ हैं. हालांकि, हमारे कोई बच्चे नहीं हैं.
सांसद के रूप में क्या हासिल करना चाहते हैं?
डी सिल्वा ने कहा कि सांसद के रूप में मेरा मुख्य लक्ष्य दिव्यांग लोगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है. 2012 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 1.7 मिलियन यानी 17 लाख श्रीलंकाई दिव्यांग हैं. उनमें से 71% अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर निर्भर हैं. मेरा लक्ष्य एक ऐसा समाज बनाना है, जहाँ वे सम्मान और स्वतंत्रता के साथ रह सकें.
क्या सांसद बनना अंतिम लक्ष्य है?
डी सिल्वा ने कहा कि सांसद बनना ही मेरा अंतिम लक्ष्य नहीं है. अगर मुझे महिला मामलों जैसे मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है, तो मैं उसी समर्पण के साथ काम करूंगा। अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करना और उनके अधिकारों की वकालत करना मेरा प्राथमिक मिशन है.
श्रीलंका के पहले ब्लाइंड सांसद ने कहा कि मेरे अंधेपन ने मुझे सीमित नहीं किया. इसने मेरे दृढ़ संकल्प को बढ़ाया. शिक्षा अंधेरे में मेरी रोशनी थी. मुझे उम्मीद है कि मैं इस मंच का उपयोग विकलांग लोगों के लिए मार्ग को रोशन करने के लिए करूंगा.
संसद में बैठने की विशेष व्यवस्था
डी सिल्वा के लिए संसद में बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी. यह बात श्रीलंकाई संसद के महासचिव कुशनी रोहनादेरा ने कही है. उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी समायोजन पर भी विचार किया जा रहा है.