रेप के समय महिला ने काटी थी रेपिस्ट की जीभ, कोर्ट ने ठहराया था दोषी; अब 60 साल बाद फिर से होगी जांच

दक्षिण कोरिया की 78 वर्षीय चोई माल-जा, जिन्हें 60 साल पहले आत्मरक्षा के बावजूद दोषी ठहराया गया था. अब इस के मामले की फिर से जांच होगी. 1964 में उन्होंने बलात्कार के प्रयास से बचने के लिए हमलावर की जीभ काटी, लेकिन उन्हें ही सज़ा मिली. अब, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुनर्विचार होगा, जिससे न्याय की नई उम्मीद जगी है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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दक्षिण कोरिया में 60 साल पहले आत्मरक्षा के बावजूद दोषी ठहराई गई एक महिला के मामले की फिर से जांच होगी. चोई माल-जा, जो अब 78 वर्ष की हैं. वह 18 साल की थीं जब उन्होंने बलात्कार के प्रयास से खुद को बचाने के लिए हमलावर की जीभ का हिस्सा काट लिया था. इसके बावजूद, उन्हें गंभीर शारीरिक चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया गया और 10 महीने की निलंबित सजा मिली.

चोई ने पहले बुसान डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन सबूतों की कमी के कारण इसे खारिज कर दिया गया. बाद में, उन्होंने बुसान हाईकोर्ट में अपील की, जहां से भी उनकी याचिका अस्वीकृत हो गई. सुप्रीम कोर्ट में मामला उठाने के बाद, हाईकोर्ट को दोबारा सुनवाई का आदेश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 1964-65 की जांच के दौरान चोई को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो सकता है.

कब हुई थी घटना?

घटना 6 मई 1964 की है, जब 21 वर्षीय नोह नामक व्यक्ति ने चोई पर हमला किया. उन्होंने बचाव में उसकी जीभ का 1.5 सेमी हिस्सा काट लिया. बावजूद इसके, चोई को कठोर सजा मिली, जबकि हमलावर को मात्र छह महीने की जेल और दो साल का निलंबन दिया गया. अदालत ने यह भी माना कि चोई को बिना वारंट के हिरासत में लिया गया था.

समझौते का बनाया गया दबाव

2020 में दिए गए एक साक्षात्कार में, चोई ने बताया कि अभियोजक ने उन पर हमलावर से शादी करने का दबाव डाला था. जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें आजीवन जेल भेजने की धमकी दी गई. उनके पिता ने हमलावर से समझौता करने के लिए अपनी बचत तक खर्च कर दी, लेकिन उत्पीड़न जारी रहा. नोह ने उनके घर में घुसकर उन्हें और उनकी बहन को चाकू से धमकाया.

मीटू से मिली प्रेरणा

कई वर्षों बाद, चोई ने आगे की पढ़ाई की और महसूस किया कि उनके साथ अन्याय हुआ था. महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन की मदद से, उन्होंने अपने मामले की पुनः सुनवाई के लिए अर्जी दी. #MeToo आंदोलन से भी उन्हें प्रेरणा मिली और न्याय पाने की उनकी लड़ाई को वैश्विक समर्थन मिला.

महिलाओं के हित में हुए कई सुधार

इस मामले ने 1960-70 के दशक में दक्षिण कोरियाई अदालतों में यौन हिंसा के मामलों को संभालने के तरीके पर सवाल उठाए हैं. अब, देश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई सुधार किए गए हैं, जिनमें 1994 का यौन हिंसा रोकथाम अधिनियम और 2010 में लैंगिक समानता मंत्रालय की स्थापना शामिल है.

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