अपमान की हिमाकत! सऊदी अरब के कार्टूनिस्ट को 23 साल की जेल, प्रिंस सलमान पर उठ रहे सवाल

साऊदी अरब में अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हाल में ही एक कार्टूनिस्ट को मिली सजा के बाद मामला और गर्म हो गया है. उसे एक कार्टून बनाना महंगा पड़ा गया और उस पर अपमान के आरोप लगाए गए, जिसके लिए उसे कठोर सजा सुनाई गई.;

Saudi Arabian cartoonist jailed
Edited By :  सचिन सिंह
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Cartoonist Mohammed Al-Hazza: साऊदी अरब अपने सख्त कानून और सजा के लिए जाना जाता है. जहां एक कार्टूनिस्ट मोहम्मद अल-हज़ा को अपनी कला का प्रदर्शन महंगा पड़ गया और उसे 23 साल की लंबी सजा सुनाई गई. कथित तौर पर आरोप है कि उसने अपने कार्टून के जरिए खाड़ी राज्य के लीडरशिप का अपमान किया था. उसकी बहन असरार अल-हज़ा ने ये जानकारी दी है. वहीं मानवाधिकार आयोग ने साऊदी सरकार पर सवाल उठाए हैं.

सऊदी अधिकारियों का कहना है कि आरोपी कार्टूनिस्ट ने आतंकवाद से संबंधित अपराध किये हैं. 48 वर्षीय मोहम्मद अल-हज़ा के खिलाफ़ मामला क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में चिंताओं को बढ़ाता है.

2018 में किया गया था गिरफ्तार

लंदन के मानवाधिकार संगठन ने एक बयान में कहा कि पांच बच्चों के पिता को फरवरी 2018 में सऊदी अरब में एक हिंसक छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जिसमें सुरक्षा बलों ने उनके घर में प्रवेश किया और उनके स्टूडियो में तोड़फोड़ की थी.

कार्टूनिस्ट की गिरफ़्तारी सऊदी अरब और कई सहयोगियों के कतर के साथ संबंध तोड़ने के एक साल से भी कम समय बाद हुई है. आतंकवाद से जुड़े मामलों से निपटने के लिए 2008 में स्थापित सऊदी अरब के गुप्त विशेष आपराधिक न्यायालय ने शुरू में कार्टूनिस्ट को छह साल की जेल की सज़ा सुनाई थी.

प्रिंस सलमान पर उठ रहे हैं सवाल

क्राउन प्रिंस बिन सलमान के शासनकाल में सऊदी अरब की आलोचना इस बात के लिए की जाती रही है कि यहां आलोचना, ऑनलाइन भाषणों और किसी भी प्रकार की असहमति पर भी कठोर कार्रवाई की जाती है. मानवाधिकार समूहों एमनेस्टी इंटरनेशनल और एएलक्यूएसटी ने अप्रैल में कहा था कि पिछले दो सालों में सऊदी न्यायपालिका ने सोशल मीडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के लिए दर्जनों व्यक्तियों को दोषी ठहराया है और लंबी जेल की सजा सुनाई है.

मानवाधिकार संगठन ने बताया, 'मोहम्मद अल-हज्जा का मामला सऊदी अरब में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन का एक उदाहरण है, जिसने कलाकारों सहित किसी को भी नहीं बख्शा है. इसका समर्थन सऊदी अरब में राजनीतिक और गैर-स्वतंत्र न्यायपालिका करता रहा है.

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