चोरी-छिनैती में माहिर पाकिस्‍तानी, क्राइम में हैं 21! सऊदी अरब के अजब कानून की गजब कहानी

पाकिस्तान के लोग चोरी-छिनैती और ड्रग्स मामलों में एक्सपर्ट हैं. यही वजह है कि सऊदी अरब में इस साल फांसी पर लटकाए गए 101 विदेशियों में सबसे ज्यादा संख्या पाकिस्तानियों की है. पढ़ें यह खास रिपोर्ट...;

( Image Source:  X )
Curated By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 20 Nov 2024 5:47 PM IST

सऊदी अरब... यह नाम सुनते ही ऐसे देश की छवि मन में आ जाती है, जो अपने कड़े कानूनों के लिए जाना जाता है. इस देश में अपराध करने से पहले अपराधी 100 बार सोचते हैं. इस साल सऊदी अरब में 100 से अधिक विदेशी नागरिकों को फांसी पर लटकाया गया, जिसमें पाकिस्तानियों की संख्या सबसे ज्यादा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार सऊदी अरब में 100 से ज्यादा लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 16 नवंबर को यमन के एक नागरिक को ड्रग्स की तस्करी के आरोप में फांसी दी गई, जिसके बाद यह संख्या 101 हो गई.

फांसी देने के मामले में तीसरे नंबर पर सऊदी अरब

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान और चीन के बाद सऊदी अरब फांसी देने के मामले में तीसरे स्थान पर है. जिन 101 लोगों को फांसी पर लटकाया गया, उसमें यमन, सीरिया, मिस्र, इथियोपिया, जॉर्डन, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका, सूडान, इरीट्रिया, फिलीपींस और पाकिस्तान के नागरिक शामिल हैं. पाकिस्तान के 21, यमन के 20, सीरिया के 14, नाइजीरिया के 10, मिस्र के 9, जॉर्डन के 8, इथियोपिया के 7, सूडान, भारत और अफगानिस्तान के 3-3, जबकि श्रीलंका, इरीट्रिया और फिलीपींस के 1-1 नागरिक को फांसी दी गई.

विदेशी नागरिकों की नहीं हो पाती सुनवाई

बताया जाता है कि सजा पाने वाले विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार होने के बाद कोर्ट के सामने अपनी बात रखने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वे बड़े ड्रग डीलरों के शिकार हो जाते हैं. उनकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती. इस वजह से उन्होंने फांसी की सजा हो जाती है.

274 लोगों को दिया गया मृत्युदंड

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 और 2023 में 34 विदेशी नागरिकों को मौत की सजा सुनाई गई थी. सऊदी अरब में 2022 में 196 और 1995 में 192 लोगों को मौत की सजा दी गई. वहीं, इस साल अब तक 274 लोगों को मृत्युदंड दिया जा चुका है.

इनमें से सबसे ज्यादा सजा ड्रग्स मामलों में सुनाई गई है. अब तक कुल 92 लोगों को ड्रग्स मामलों में फांसी पर लटकाया जा चुका है, जिनमें 69 विदेशी हैं. वहीं, 32 अन्य विदेशियों को हत्या और दूसरे मामलों में फांसी पर लटकाया गया है.

किन अपराधों के लिए मिली मौत की सजा

हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, यौन अपराध, किसी संगठित आपराधिक समूह या प्रतिबंधित समूह का गठन या सदस्यता, चोरी, डकैती, अपहरण, जादू टोना, राजद्रोह, देशद्रोह और अन्य राज्य सुरक्षा अपराध।

2015 के बाद मौत की सजा में दोगुना इजाफा

आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, रिप्रीव और यूरोपियन सऊदी आर्गेनाइजेश फॉर ह्यूमन राइट्स (ESOHR) ने 2010 से एकत्र किए गए डेटा के आधार पर पाया कि सऊदी अरब में 2015 में राजा सलमान के सत्ता संभालने के बाद मौत की सजा में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है. उन्होंने अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मौत की सजा का इस्तेमाल अक्सर असंतुष्टों और प्रदर्शनकारियों को चुप कराने के लिए किया जाता है. यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मृत्युदंड केवल सबसे गंभीर अपराधों के लिए ही दिया जाना चाहिए.

सऊदी अरब के अजीब कानून

सऊदी अरब के अजीब कानून हैं. यहां मिनी स्कर्ट पहनने पर आपको पुलिस गिरफ्तार कर लेगी. यहां महिलाओं के लिए एक ड्रेस कोड है. इसके तहत महिलाओं को सिर पर स्कॉर्फ बांधना अनिवार्य है. वे मेक-अप भी नहीं कर सकती हैं. यही नहीं, वे बिना पुरुष अभिभावक के बैंक अकाउंट भी नहीं खुलवा सकतीं.

अनजान पुरुषों से बात नहीं कर सकतीं महिलाएं

सऊदी अरब में अनजान पुरुषों से बात करने पर पाबंदी है. स्विमिंग पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है. महिलाएं पुरुषों के साथ स्विमिंग नहीं कर सकती हैं. उनके लिए अलग से स्विमिंग पूल बने हुए हैं. 

शरिया पर आधारित है सऊदी अरब की कानून व्यवस्था

सऊदी अरब की कानून व्यवस्था शरिया पर आधारित है, जो केवल कुरान और सुन्नत में अल्लाह द्वारा बनाए गए कानून को मानता है. सऊदी अरब में जजों को इस्लामी कानून में डिग्री हासिल करना अनिवार्य है. इसलिए उन्हें उलेमा भी कहा जा सकता है. यहां न्यायिक प्रणाली को दो मुख्य शाखाएं हैं- शरिया अदालतें और शिकायत बोर्ड.

आम तौर पर शरिया कोर्ट में सभी मामले जाते हैं. वहीं, जिन मामलों में सरकार एक पक्ष है, उसकी सुनवाई शिकायत बोर्ड में होती है. इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, न्यायाधीश और प्रशासनिक कर्मचारी होते हैं. शरिया कोर्ट में सिविल मामलों की सुनवाई तीन जज, जबकि आपराधिक मामलों की सुनवाई पांच जज करते हैं.

Similar News