खाड़ी का मोती या नया आतंकिस्तान! क्या पाक की राह पर चल रहा कतर? हमास-तालिबान जैसे आतंकी संगठनों का बना सुरक्षित ठिकाना

कतर पर लंबे समय से आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगते रहे हैं. तालिबान से लेकर हमास, हूती और हिजबुल्ला तक कई संगठनों के ठिकाने दोहा में बताए जाते हैं. इसी बीच इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि जब अमेरिका एबटाबाद में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार सकता है तो हम कतर में क्यों नहीं घुस सकते. सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की तरह कतर भी अब आतंकिस्तान बन चुका है.;

( Image Source:  Sora_ AI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 12 Sept 2025 11:17 PM IST

Qatar terror links : कतर को सबसे आधुनिक और अमीर देशों में गिना जाता है. यह अपने गैस भंडार, आलीशान स्टेडियम और ग्लोबल डिप्लोमेसी के लिए मशहूर हैं, लेकिन आज यह सवालों के घेरे में है कि क्या यह देश आतंकवादी संगठनों का नया ठिकाना बन चुका है? क्या कतर आतंकवादियों को पनाह देकर पाकिस्तान की राह पर चल रहा है? आलोचक कहते हैं कि कतर की विदेश नीति हमेशा से विवादों में रही है.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में अमेरिका की एबटाबाद कार्रवाई का उदाहरण देते हुए कहा, “जब अमेरिका पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार सकता है, तो फिर हम कतर में क्यों नहीं?” नेतन्याहू का यह बयान कतर पर सीधे तौर पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप है.

आतंकवाद के नेटवर्क को मजबूत करने में मदद कर रहा कतर

दरअसल, चाहे तालिबान हो या हमास, हूती हों या हिजबुल्ला – इन सब संगठनों के नेताओं को कतर में राजनीतिक और आर्थिक शरण मिलती रही है. दोहा (कतर की राजधानी) को इन संगठनों का सुरक्षित अड्डा बताया जाता है. अमेरिका और यूरोप में भी कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं कि कतर की जमीन और फंडिंग आतंकवाद के नेटवर्क को मजबूत करने में मददगार रही है. यही कारण है कि कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सवाल उठता है- क्या कतर आतंकियों का नया 'पाकिस्तान' बन चुका है? या फिर यह सिर्फ भू-राजनीतिक दांवपेंच है, जहां कतर आतंकियों को पनाह देकर बड़े खेल का हिस्सा बन रहा है.

कौन-कौन से आतंकी संगठन जुड़े हैं कतर से?

  • तालिबान- दोहा में राजनीतिक दफ्तर है, जिसे अमेरिका और अन्य देशों ने शांति वार्ता के लिए स्वीकार भी किया.
  • हमास - इस्लामिक संगठन के कई नेता लंबे समय से कतर में रहते हैं.
  • हूती विद्रोही - यमन में सक्रिय इस गुट को कतर की सहानुभूति और समर्थन मिलने के आरोप लगते हैं.
  • हिजबुल्ला - लेबनान आधारित शिया आतंकी संगठन से भी कतर के अप्रत्यक्ष रिश्ते बताए जाते हैं.

सऊदी अरब और UAE ने कतर से बनाई दूरी

कतर पर आरोप है कि वह इन संगठनों को राजनैतिक मंच, वित्तीय मदद और सुरक्षित पनाह देता है. आलोचक इसे 'State Sponsorship of Terror' करार देते हैं. यही कारण है कि पश्चिमी देशों और अरब पड़ोसियों, खासकर सऊदी अरब और UAE, ने भी कई बार कतर से दूरी बनाई.

कतर की सफाई

कतर हमेशा कहता रहा है कि वह 'शांति और बातचीत' के लिए ऐसे समूहों को जगह देता है. दोहा के मुताबिक यह उसकी 'मध्यस्थता डिप्लोमेसी' का हिस्सा है. पर आलोचकों का मानना है कि आतंकियों को मंच देना, उन्हें वैधता देना है.

कतर को क्यों कहा जा रहा है आतंकी संगठनों की पनाहगाह?

पाकिस्तान को लंबे समय से आतंकी संगठनों की पनाहगाह कहा जाता है. अब नेतन्याहू के बयान और कतर की नीतियों ने यह नया सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कतर भी उसी रास्ते पर चल रहा है? क्या वह आतंकियों का नया सुरक्षित ठिकाना बन चुका है? इस पूरे विवाद के केंद्र में है कतर की दोहरी भूमिका- एक तरफ आधुनिकता और FIFA World Cup जैसे वैश्विक आयोजनों की मेजबानी, तो दूसरी तरफ तालिबान और हमास जैसे गुटों को पनाह. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अब बहस तेज हो गई है - कतर: खाड़ी का मोती या नया आतंकिस्तान?”

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