इतना झूठ कैसे बोल लेते हो पाकिस्तान! अमेरिका ने असीम मुनीर को मिलिट्री परेड में बुलाने की खबर को बताया फर्जी
पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को किसी भी सैन्य परेड में शामिल होने का आमंत्रण नहीं भेजा था. पाकिस्तानी मीडिया में पहले यह प्रचार किया गया था कि जनरल मुनीर को अमेरिकी मिलिट्री परेड में बतौर विशेष अतिथि बुलाया गया है, लेकिन व्हाइट हाउस और अमेरिकी अधिकारियों ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और इसे 'पूरी तरह से फर्जी और भ्रामक' बताया.;
पाकिस्तान ने एक बार फिर फर्जी खबरों और प्रोपेगेंडा के ज़रिए अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश की, लेकिन इस बार अमेरिका ने उसकी पोल खोल दी. अमेरिका ने साफ-साफ कहा है कि व्हाइट हाउस ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को किसी भी मिलिट्री डे परेड में आमंत्रित नहीं किया है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया, "यह दावा पूरी तरह गलत है. किसी भी विदेशी सैन्य अधिकारी को निमंत्रण नहीं भेजा गया."
शनिवार को आयोजित यह परेड अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड मानी जा रही है, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सैन्य ताकत दिखाने की कोशिश है. यह परेड 14 जून 1775 को अमेरिकी सेना की स्थापना की स्मृति में आयोजित की गई, जब अमेरिका ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी. यह दिन ट्रंप के 79वें जन्मदिन के साथ भी मेल खाता है.
एक बार फिर शर्मिंदा हुआ पाकिस्तान
इससे पहले पाकिस्तान के कुछ मीडिया माध्यमों ने दावा किया था कि असीम मुनीर को अमेरिकी सैन्य परेड में शामिल होने का निमंत्रण मिला है, जिससे भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं, लेकिन व्हाइट हाउस द्वारा किए गए खंडन के बाद पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. पाकिस्तान लंबे समय से फर्जी प्रचार के ज़रिए अपनी छवि चमकाने की कोशिश करता रहा है.
भारत में गरमाई सियासत
जब यह झूठी खबर फैली, तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे भारत की कूटनीति की बड़ी हार करार दिया. शिवसेना (उद्धव गुट) ने अपने मुखपत्र 'सामना' में लिखा कि यह भारत की कूटनीतिक कमजोरी है और 'जानबूझकर भारत की लड़ाई को कमजोर करने की साज़िश' है. वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी दल पाकिस्तान की झूठी कहानी का प्रचार कर रहे हैं, यह दिखाता है कि वे किसके साथ खड़े हैं.
बिलावल भुट्टों से किसी वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने नहीं की मुलाकात
इस फर्जी खबर के उजागर होने के साथ पाकिस्तान की एक और कोशिश नाकाम रही. रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी एक छवि बनाने की कोशिश करते हुए अमेरिका में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा, जिसकी अगुवाई पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें किसी वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी से मिलने का मौका तक नहीं मिला, यहां तक कि एक अंडर सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी से भी नहीं.
जहां तक परेड की बात है, इसमें हज़ारों सैनिक, दर्जनों टैंक, सैन्य वाहन, हेलिकॉप्टर, पैराजंपर्स और फाइटर जेट्स की फ्लाईपास्ट शामिल हुए. यह परेड अमेरिका के लिए विशेष है, क्योंकि वहां भारत के गणतंत्र दिवस या फ्रांस के बैस्टील डे जैसी सैन्य परेड की परंपरा नहीं है. आखिरी बार अमेरिका में ऐसी परेड 1991 में 'ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म' के बाद कुवैत को इराक से आज़ाद कराने की जीत पर 'नेशनल विक्टरी सेलेब्रेशन' के रूप में हुई थी.