'अगर चीन का विरोध किसी ने किया तो...', नेपाली PM ओली का एक बार फिर दिखा ड्रैगन प्रेम
नेपाल के पीएम ओली ने चीन के प्रतिनिधित्वमंडल के साथ रविवार को एक बैठक की. इस बैठक में ओली ने फैसला सुनाया कि नेपाल में चीन विरोधी गतिविधियों की इजाजत किसी को नहीं होगी. इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी बातचीत हुई.;
काठमांडूः नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास पर कॉम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना सेंट्रल कमिटी के साथ एक बैठक हुई. इस हाई लेवल बैठक में पीएम ओली की ओर से कहा गया कि देश में चाइना के विरोध में गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी. ओली ने एक चीन नीते के प्रति हिमालयी राष्ट्र की प्रतिब्धता को लेकर यह बयान जारी किया है.
उन्होंने चीन से नेपाल दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल से कहा कि नेपाल के क्षेत्र के भीतर किसी भी चीन विरोधी गतिविधियों को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके बदले में पीएम ओली ने चीन से आर्थिक विकास के लिए मिलने वाली सहायता की उम्मीद भी जताई है.
'वन चाइना नीति' का पालन अनिवार्य
चीन का यह दावा है कि ताइवान राष्ट्र उसका हिस्सा है. ऐसे में उसके साथ संबंध रखने वाले सभी देशों को वन चाइना नीति का पालन करना अनिवार्य होगा. दरअसल इस पॉलिसी का मतलब है कि चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है. ऐसे में जो भी देश पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ कूटनीतिक संबंध रखना चाहते हैं, उन्हें रिपब्लिक ऑफ़ चाइना से संबंध तोड़ने होंगे.
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर हुई बात
इस बैठक में PM ओली के सचिवालय ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पार्टियों के बीच सहयोग बढ़ाने के बारे में भी बातचीत की. ओली CPN (UML) के अध्यक्ष तो हैं ही. लेकिन उन्हें चीन के समर्थक के रूप में भी देखा जाता है.
क्यों लिया गया फैसला?
बैठक में लिया गया फैसला चीन के साथ चलने वाले व्यापार को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है. ताकी चीन से मिलने वाली सहयोग दोनों सरकार के बीच के संबंध बरकरार रहे. इस जरुरत पर जोर दिया है. साथ ही चीन में गरीबी को कम करने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व की प्रशंसा की और नेपाल में भी ऐसी प्रगति की उम्मीद जताई. बता दें कि इस बैठक में प्रधानमंत्री समेत मुख्य सलाहकार बिष्णु प्रसाद रिमल, सीपीएम (यूएमएल) सचिव और सीपीएन (यूएमएल) के विदेश विभाग के प्रमुख रघुबीर महासेठ और नेपाल में चीन के राजदूत चेन सोंग भी शामिल रहे.