जानें कैसे मदरसे में पढ़ा लड़का महफूज आलम बना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के जी का जंजाल

मोहम्मद यूनुस ने क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव में कहा कि छात्रों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है. आप हममें से कितनों को मार सकते हैं? हम यहां हैं, हमें मार दें लेकिन हम दुनिया को बदलने जा रहे हैं... बांग्लादेश को बदल देंगे.;

( Image Source:  Credit- dhakatribune )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 28 Sept 2024 7:05 PM IST

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन तब खत्म हुआ, जब देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दिया. इसके बाद 8 अगस्त को मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख चुना गया. 25 सितंबर को हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव में यूनुस ने मानसून क्रांति से जुड़े लोगों के बारे में बात की, जिसके कारण 16 वर्षों तक सत्ता में रहने वाली सरकार का तख्तापलट कर दिया गया. इस दौरान उन्होंने बताया कि छात्र नेतृत्व आंदोलन के पीछे किसका दिमाग था और यह “क्रांति” “सावधानीपूर्वक डिजाइन” की गई थी.

यूनुस ने तख्तापलट में छात्र नेताओं के बारे में बात करते हुए कहा कि “इन लोगों के भाषण, समर्पण और प्रतिबद्धता से पूरे देश हिल चुका है. इसके आगे उन्होंने कहा कि आप हमें मार सकते हैं, लेकिन हम हार नहीं मानेंगे.”

महफूज आलम है तख्तापलट का मास्टरमाइंड

युनूस ने महफूज आलम की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह “पूरी क्रांति के पीछे का दिमाग” थे. “वह बार-बार इस बात को नकारते हैं कि ‘यह मैं नहीं बल्कि कई अन्य लोग हैं’, लेकिन इस तख्तापलट के पीछे उन्ही का दिमाग है… यह अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि बेहद सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया काम है. आप पहचान नहीं सकते कि कौन नेता है... इसलिए आप किसी को पकड़कर यह नहीं कह सकते कि सब खत्म हो गया."

कौन हैं महफूज आलम ?

Prothom Alo अनुसार, महफूज आलम का जन्म 1995 में लक्ष्मीपुर जिले के इच्छापुर गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी सेंकडरी पढ़ाई चांदपुर के गल्लक दारुस्सुनात आलिम मदरसा से पूरी की है. इसके बाद उन्होंने तामिरुल मिल्लत कामिल मदरसा से हायर सेंकडरी की पढ़ाई पूरी की. साल 2015 में उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और फिर छात्र राजनीति में एक्टिव हो गए. महफूज आलम को महफूज अब्दुल्ला के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने कई सामाजिक आंदोलन का नेतृत्व किया है. महफूज आलम एंटी-ड्रिस्क्रिमेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट के कॉर्डिनेटर हैं, जिसने कोटा सुधारों की वकालत करने और 2024 में असहयोग आंदोलन के आयोजन में भूमिका निभाई है.

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन

अगस्त को शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले छात्र विरोध प्रदर्शन एक विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुए थे, जिसे कुछ समूहों को दूसरों पर तरजीह देने के रूप में जाना जाता था. शुरुआत में सही रोजगार के अवसरों की मांग से शुरू हुए ये विरोध प्रदर्शन जल्दी ही भ्रष्टाचार और सत्तावादी शासन के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गए. इसके बाद जुलाई 2024 में स्थिति बदल गई, जब सुरक्षा बलों द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इसके कारण पूरे देश में आक्रोश फैल गया था.

Similar News