50 साल बाद मां-बेटे का मिलन: जानें कैसे एक बेकरी से जुड़ी कहानी ने बदली जिंदगी?

एक मां और बच्चे का रिश्ता बहुत गहरा होता है, उसे कोई भी अलग नहीं कर सकता है और अगर अलग हो भी गए तो कुदरत का करिश्मा दोनों को मिला ही देता है. हाल ही में एक खबर आ रही हैं, जहां पर एक युवक 35 साल की उम्र से अपनी मां की खोज में लगा था और आखिरकार उसे 50 साल की उम्र में उसकी मां का पता चल ही गया. पढ़ें ये दिल को छूं लेने वाली कहानी.;

( Image Source:  Freepik )
Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 16 Nov 2024 8:27 AM IST

शिकागो में रहने वाले वैमर हंटर, जिनकी उम्र अब 50 साल है, यह जानकर हैरान रह गए कि उनकी जैविक(बायोलॉजिकल) मां, लेनोर लिंडसे, वही महिला हैं जो उस बेकरी की मालिक हैं, जहां वह अक्सर जाते थे. यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब हंटर ने 2022 में अपने डीएनए का टेस्ट कराया.

हंटर को एक शिशु के रूप में गोद लिया गया था. लेकिन उन्हें 35 साल की उम्र में पता चला कि वह गोद लिए गए हैं. इसके बाद से ही उन्होंने अपनी जैविक मां की खोज शुरू कर दी.

एक्सपर्ट की मदद से हुआ मिलन

2022 में गैब्रिएला वर्गास, जो जेनेटिक वंशावली की विशेषज्ञ हैं, ने डीएनए डेटा का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि हंटर की मां लेनोर लिंडसे हैं. लिंडसे एक 67 वर्षीय बेकरी मालिक हैं और "गिव मी सम सुगाह" नामक बेकरी चलाती हैं. वर्गास ने लिंडसे और हंटर को एक-दूसरे से मिलाने में अहम भूमिका निभाई.

पहला फोन कॉल और भावनाओं का विस्फोट

लिंडसे, जो उस समय ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी से उबर रही थीं, ने खबर मिलते ही हंटर को फोन किया. हंटर ने बताया, "जब मैंने बेकरी से कॉल देखा, तो मैं सोचने लगा कि बेकरी मुझे क्यों कॉल कर रही है." लिंडसे ने अपनी पहचान जाहिर की, “क्या यह वैमर हंटर है?” यह सुनकर हंटर को समझ आ गया कि उनकी असली मां वही हैं. इसके बाद दोनों फोन पर खुशी से चीखने लगे.

1974 में, सिर्फ 17 साल की उम्र में, लिंडसे ने हंटर को जन्म दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के वजह से उन्हें अपने बेटे को गोद देना पड़ा. लिंडसे ने याद करते हुए कहा, “जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो उसका सुंदर चेहरा और घने बाल मेरे दिल को छू गए. लेकिन परिस्थितियां ऐसी थीं कि मैं उसे अपने पास नहीं रख सकी.”

बेकरी ने जोड़े रिश्ते 

मिलन के बाद, हंटर और लिंडसे ने बेकरी को मिलकर संभालना शुरू कर दिया. आज वे मां-बेटे और बिजनेस पार्टनर के रूप में जीवन का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने तय किया है कि भविष्य में यह बेकरी उनके परिवार की विरासत बनेगी.

यह कहानी न केवल एक मां और बेटे के पुनर्मिलन की है, बल्कि यह साबित करती है कि पारिवारिक रिश्ते कितने मजबूत होते हैं. चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, दिलों का जुड़ाव हमेशा बना रहता है.

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