क्या दो साल का बच्चा भी अब नफरत का शिकार बनेगा? मास्को एयरपोर्ट पर नस्ली हमले का शिकार मासूम ईरानी बच्चा कोमा में
मास्को एयरपोर्ट पर एक दो वर्षीय ईरानी बच्चे को बेलारूसी युवक ने जमीन पर पटक दिया, जिससे वह कोमा में चला गया. बच्चा अपनी मां संग ईरान से जान बचाकर रूस पहुंचा था. घटना का वीडियो वायरल है और इसे नस्लीय नफरत से प्रेरित माना जा रहा है. मां उस वक्त बच्चे का स्ट्रॉलर ले रही थी. आरोपी को हिरासत में लिया गया है. ईरानी दूतावास और दुनियाभर के लोगों ने इस बर्बर हमले पर गुस्सा जाहिर किया है.;
ईरान से जान बचाकर रूस पहुंची एक मां के लिए यह पल राहत का नहीं, कहर का बन गया. मास्को के शेरेमेतेवो एयरपोर्ट पर वह अपने दो साल के बेटे को लेकर पहुंची थी, उम्मीद लेकर कि शायद अब बमों से दूर, एक सुरक्षित ज़िंदगी जी पाएंगी. लेकिन तभी वहां खड़ा एक अजनबी अचानक आगे बढ़ा, और मासूम बच्चे को उठाकर इतनी बेरहमी से ज़मीन पर पटका कि वह बच्चा अब कोमा में है, ज़िंदगी और मौत के बीच झूलता हुआ.
पूरी दुनिया सन्न, वीडियो से फूटा गुस्सा
सीसीटीवी में कैद यह दर्दनाक वीडियो अब पूरी दुनिया देख रही है. वीडियो में बच्चा अपनी छोटी-सी ट्रॉली के हैंडल को पकड़े शांत खड़ा था. पास ही खड़ा एक अधेड़ उम्र का शख्स-सफेद टीशर्ट, काले चश्मे और शॉर्ट्स में उसे घूरता रहा. फिर अचानक वह झपटा और बच्चे को उठाकर पूरी ताकत से ज़मीन पर दे मारा.
हमला क्यों? क्या यह ईरानी होने की सज़ा थी?
हमले का कारण अभी जांच के दायरे में है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक रूसी अधिकारी यह जांच कर रहे हैं कि क्या हमला नस्लीय या धार्मिक नफरत से प्रेरित था. आरोपी 31 वर्षीय व्लादिमीर विटकोव, बेलारूस का नागरिक है जिसे हिरासत में ले लिया गया है. संदेह है कि वह हमले के वक्त नशे में था.
ईरानी दूतावास का गुस्सा
भारत में ईरानी दूतावास ने इस वीडियो को X (पूर्व ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा, "इजरायली हमलों से जान बचाकर भागे परिवार के ईरानी बच्चे पर मास्को एयरपोर्ट पर एक यात्री ने बेरहमी से हमला किया. बच्चा कोमा में है और गंभीर रूप से घायल है."
मां गर्भवती, बस बच्चे की स्ट्रॉलर लेने गई थी
हमले के वक्त बच्चे की मां, जो खुद गर्भवती है, बच्चे का स्ट्रॉलर लेने के लिए गई थी. जब लौटी तो सामने अपने बच्चे को खून में लथपथ तड़पते हुए देखा.
क्या पश्चिमी दुनिया अब भी खामोश रहेगी?
यह कोई आम हादसा नहीं है. यह नफरत और असहिष्णुता की पराकाष्ठा है. क्या मासूम बच्चों के लिए भी अब इस दुनिया में जगह नहीं बची? क्या सिर्फ इसलिए कि वह मुसलमान है, ईरानी है, उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए? ये हमला सिर्फ एक बच्चे पर नहीं, इंसानियत पर है. और अगर दुनिया आज खामोश रही, तो अगला नंबर किसी और के मासूम का हो सकता है.