अमेरिकी टेक इंडस्ट्री में छंटनी, भारतीय कर्मचारियों पर होगा बुरा असर; वीजा के लिए पढ़ें ये जानकारी

हाल ही में अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में छंटनी की लहर आई है, जिसने इस क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है. इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय कामगारों, खासकर एच-1बी वीजा धारकों पर हुआ है. इस स्थिति के साथ-साथ नए वीजा नियमों ने अमेरिका में अप्रवासी छात्रों और कुशल कामगारों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं. आइए जानते हैं इस खबर के बारे में सब कुछ.;

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By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 23 Sept 2024 5:40 PM IST

नई दिल्ली : हाल ही में अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में छंटनी की लहर आई है, जिसने इस क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है. इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय कामगारों, खासकर एच-1बी वीजा धारकों पर हुआ है. इस स्थिति के साथ-साथ नए वीजा नियमों ने अमेरिका में अप्रवासी छात्रों और कुशल कामगारों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं.

जिस टेक इंडस्ट्री को कभी मंदी से सुरक्षित माना जाता था, वहां अब लगभग 438 कंपनियों ने 137,500 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिससे नौकरी के मौके कम हो गए हैं. खासकर, H-1B वीजा धारकों के पास नई नौकरी ढूंढने के लिए बहुत सीमित समय होता है, नहीं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ता है. अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कामगारों को ग्रीन कार्ड पाने के लिए कई बार 190 साल से ज्यादा इंतजार करना पड़ता है, जिससे उनकी स्थिति और भी कठिन हो जाती है.

वीजा नियमों में बदलाव और भारतीय कामगार

अमेरिकी विदेश विभाग के अक्टूबर 2024 के वीजा बुलेटिन में 2025 के लिए वीजा की स्थिति दी गई है. यह बुलेटिन आवेदकों को उनकी वीजा स्थिति की जानकारी देता है. तेलुगु360 की रिपोर्ट के अनुसार, वीजा की कई श्रेणियों पर इसका प्रभाव पड़ा है, जिसमें ईबी-5 निवेशक वीज़ा भी शामिल है.

ईबी-5 वीज़ा उन लोगों को मिलता है जो अमेरिका के ग्रामीण या अधिक बेरोजगारी वाले क्षेत्रों में निवेश करते हैं. हालांकि, चीन और भारत के आवेदकों को अक्सर देरी का सामना करना पड़ता है, पर हाल के संकेत बताते हैं कि इसमें कुछ सुधार हो रहा है.

इसके साथ ही, H-1B वीजा शुल्क में भी बढ़ोतरी की गई है, जो $10 से बढ़कर $215 हो गया है. इस तरह, आवेदन शुल्क में 2150% की वृद्धि हुई है. कागजी कार्रवाई की फीस भी $460 से बढ़कर $780 कर दी गई है.

ग्रीन कार्ड और वीज़ा में नए बदलाव

ग्रीन कार्ड के लिए सामान्य फाइलिंग की कीमत अब कागजी दस्तावेजों के लिए $675 और ऑनलाइन फाइलिंग के लिए $625 है. इसके अलावा शरण के लिए एक नई फीस $600 लागू की गई है.अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अब F, M और J वीज़ा के लिए सख्त जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें पासपोर्ट की सटीक जानकारी देना अनिवार्य हो गया है.

हालांकि, एक सकारात्मक बदलाव यह है कि कुछ पात्र व्यक्तियों के लिए वर्क परमिट की वैधता को 5 साल तक बढ़ा दिया गया है इससे काम के अवसरों में कुछ राहत मिलेगी.छात्र अब भी वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) और पाठ्यक्रम व्यावहारिक प्रशिक्षण (CPT) का लाभ उठा सकते हैं.24 महीने का STEM OPT एक्सटेंशन भी अभी उपलब्ध है.इन बदलावों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और सुरक्षा बढ़ाना है, हालांकि यह आवेदकों पर वित्तीय बोझ भी बढ़ा सकता है.

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