बांग्लादेश में ISKCON पर नहीं लगेगा बैन, ढाका हाईकोर्ट ने संगठन को लेकर सुनाया ये फैसला
बांग्लादेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को देश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने पहले ही आवश्यक कार्रवाई कर ली है. इसमें इस्कॉन पर पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोपने के लिए जबरन सदस्यों की भर्ती करने, सनातन मंदिरों पर कब्जा करने, सनातन समुदाय के सदस्यों को बेदखल करने और यहां तक कि मस्जिदों पर हमला करने का भी आरोप लगाया गया है.;
ISKCON: बांग्लादेश में इन दिनों इस्कॉन के बीच काफी विवाद देखने को मिल रहा है. चिन्मय प्रभु के बयान से हिंसा भड़क उठी है. उनकी गिरफ्तारी के बाद हालात और बिगड़ गए हैं. इस बीच बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को देश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने पहले ही आवश्यक कार्रवाई कर ली है.
इस्कॉन पर नहीं लगेगा बैन
बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दायर की गई. वहां की सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद मोनिर उद्दीन ने इस्कॉन की गतिविधियों पर समाचार पत्रों की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. साथ ही अदालत से चटगांव, रंगपुर और दिनाजपुर में प्रतिबंध लगाने और धारा 144 लागू करने का अनुरोध किया था. इसके बाद कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस्कॉन के संबंध में सरकार की कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी.
द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका उच्च न्यायालय ने गुरुवार को "बांग्लादेश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने" के लिए स्वत: संज्ञान आदेश जारी करने से इनकार कर दिया, क्योंकि न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने पहले ही आवश्यक कार्रवाई कर ली है। सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद मोनिर उद्दीन ने इस्कॉन की गतिविधियों पर समाचार पत्रों की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और अदालत से चटगांव, रंगपुर और दिनाजपुर में प्रतिबंध लगाने और धारा 144 लागू करने का अनुरोध किया था. बता दें कि अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कोर्ट को बताया कि वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या और इस्कॉन की गतिविधियों के संबंध में तीन मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
याचिका में कही गई ये बात
बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई. कानूनी नोटिस में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) पर एक "कट्टरपंथी संगठन" होने का आरोप लगाया गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली तथा सांप्रदायिक अशांति फैलाने वाली गतिविधियों में शामिल है. याचिका में संगठन और संत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
इसमें इस्कॉन पर पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोपने के लिए जबरन सदस्यों की भर्ती करने, सनातन मंदिरों पर कब्जा करने, सनातन समुदाय के सदस्यों को बेदखल करने और यहां तक कि मस्जिदों पर हमला करने का भी आरोप लगाया गया है. याचिका में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन के दौरान एक वकील की कथित हत्या से भी इस्कॉन को जोड़ा गया है , तथा इसे समूह द्वारा "कानून और व्यवस्था के प्रति घोर उपेक्षा" का परिणाम बताया गया है.