क्या केसलर सिंड्रोम सच साबित हो रहा है? केन्याई गांव में विशाल रॉकेट का मलबा गिरने के बाद बढ़ी चिंता

केएसए के अनुसार, यह मलबा लगभग आठ फीट व्यास का एक धातु का मेटल थंब प्रतीत हो रहा है, जो लांच व्हीकल का हिस्सा हो सकता है. केन्या में इस घटना ने एक और गंभीर चिंता को जन्म दिया है, और वह है अंतरिक्ष मलबे का बढ़ता हुआ खतरा. यह घटना पहली बार केन्या में हुई है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में अंतरिक्ष मलबे के वजह से पैदा होने वाले खतरों ने चर्चा को और बढ़ा दिया है.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 2 Jan 2025 10:06 AM IST

केन्या अंतरिक्ष एजेंसी (KSA) ने हाल ही में एक अजीब घटना की पुष्टि की है, जिसमें एक 500 kg का भारी धातु का टुकड़ा, जो संभव है कि एक रॉकेट के हिस्से से गिरा था, सोमवार (30 दिसंबर) को देश के उत्तरी क्षेत्र के एक छोटे से गांव में गिरा. इस घटना ने क्षेत्र में हलचल मचा दी, लेकिन एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि अब तक इस मलबे से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. KSA और स्थानीय अधिकारियों ने मिलकर गांव को सुरक्षित कर लिया है और मलबे को हटाकर आगे के विश्लेषण के लिए भेज दिया है.

केन्या अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह मलबा लगभग आठ फीट व्यास का एक धातु का मेटल थंब प्रतीत हो रहा है, जो लांच व्हीकल का हिस्सा हो सकता है. यह मुकुकी गांव के पास गिरा, और पहले आकलन से पता चला है कि यह रॉकेट के एक थंब का हिस्सा हो सकता है. रॉकेट लांच के दौरान विभिन्न हिस्से अलग-अलग चरणों में गिरते हैं, और ऐसा प्रतीत होता है कि यह टुकड़ा ऐसे ही एक चरण के टूटने से गिरा है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "हम जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि यह वस्तु किसी भी प्रकार का तत्काल खतरा नहीं उत्पन्न करती. हमारी टीम इसके विश्लेषण के लिए पूरी तरह तैयार है और हम लोगों को आगे की जानकारी देते रहेंगे."

अंतरिक्ष मलबे से बढ़ते खतरे की चिंता

केन्या में इस घटना ने एक और गंभीर चिंता को जन्म दिया है, और वह है अंतरिक्ष मलबे का बढ़ता हुआ खतरा. यह घटना पहली बार केन्या में हुई है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में अंतरिक्ष मलबे के वजह से पैदा होने वाले खतरों ने चर्चा को और बढ़ा दिया है. 2023 में ही नासा पर एक अमेरिकी फैमिली ने मुकदमा दायर किया था, जब गिरने वाले धातु के टुकड़े ने उनके घर को नुकसान पहुंचाया था.

इस बीच, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि फरवरी में एक बड़ी सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया और अलास्का और हवाई के बीच के क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस प्रकार की घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि अंतरिक्ष मलबे के खतरे से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों की जरूरत है.

केसलर सिंड्रोम 

जैसे-जैसे अंतरिक्ष में सैटेलाइट के अलावा रॉकेट का मलबा बढ़ रहा है, एक और गंभीर समस्या सामने आ रही है जिसे "केसलर सिंड्रोम" के नाम से जाना जाता है. यह स्थिति तब उत्पन्न हो सकती है जब पृथ्वी की निचली ऑर्बिट (LEO) में वस्तुओं का घनत्व इतना बढ़ जाए कि वहां टकरावों की एक श्रृंखला शुरू हो जाए, जो ऑर्बिट को मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त बना दे.

एरिजोना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विष्णु रेड्डी ने इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले चार सालों में अंतरिक्ष में लॉन्च की गई वस्तुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है, और हम उस स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका हम हमेशा से डरते आए हैं.

"लो अर्थ ऑर्बिट" (LEO)

नासा के आंकड़ों के अनुसार, लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) अब पृथ्वी के आसपास के सबसे बड़े कूड़े के ढेर के रूप में देखा जाता है. इस कक्षा में करीब 6,000 टन मलबा जमा है, और जैसे-जैसे निजी कंपनियां और देशों के अंतरिक्ष मिशन बढ़ रहे हैं, यह संख्या और भी बढ़ने की संभावना है.

यह स्थिति न केवल अंतरिक्ष यात्रियों और उपग्रहों के लिए खतरा उत्पन्न कर रही है, बल्कि पृथ्वी पर गिरने वाले मलबे के कारण भी जानमाल का नुकसान हो सकता है. इस तरह की घटनाएं यह साबित करती हैं कि अंतरिक्ष मलबे को लेकर वैश्विक सहयोग और सुरक्षा उपायों की अत्यधिक आवश्यकता है, ताकि भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सके.

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