Pakistan के कटोरे में IMF की भीख, 37 महीनों तक टुकड़ों में मिलेगी रोटी
IMF approves loan for Pakistan: आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 7 बिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दे दी है. ये लोन IMF ने पाकिस्तान को अपनी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए दिया है. इसकी पहली राशि की कस्त 1 बिलियन डॉलर देकर शुरू की जाएगी.;
IMF approves loan for Pakistan: आर्थिक संकटों से जुझ रहे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का सहारा मिला है. IMF ने कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर के नए ऋण के लिए हरी झंडी दे दी है. यह घोषणा IMF ने बुधवार को की है. इसकी चर्चा पिछले कई महीनों से चल रही थी, जिस पर अब आम सहमती बन गई है. लेकिन ये कर्ज पाकिस्तान को यूं ही नहीं मिला है. इसके लिए IMF ने कई शर्तें भी रखी है.
अधिकारियों ने बताया कि यह ऋण पाकिस्तान को 37 महीनों में किस्तों में मिलेगा. इसका उद्देश्य पाकिस्तान की बीमार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है. आईएमएफ के मुताबिक, कर्च की पहली किश्त तुरंत जारी की जाएगी, जो लगभग 1 बिलियन डॉलर है. आर्थिक रूप से कमजोर होते पाकिस्तान को पैसे की कमी से जूझते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मौद्रिक राहत के लिए मिलेगी.
IMF ने पाकिस्तान के सामने रखी ये शर्त
- पाकिस्तान सरकार 1.8 लाख करोड़ रुपये का राजस्व कर बढ़ाए
- बिजली की कीमतों को 51% तक बढ़ावा
- सॉवरेन वेल्थ फंड के मामलों में पारदर्शिता लाना
- घाटे में चल रही इकाइयों का निजीकरण
- कृषि आयकर की दर 12-15% से बढ़कर 45% करना
- प्रांतों को बिजली और गैस पर और अधिक सब्सिडी नहीं देना
- आर्थिक जोन या निर्यात प्रोसेसिंग जोन स्थापित नहीं करना
लोन लेकर चीन का भजन गा रहा पाकिस्तान
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान बोलते हुए इस डील को हासिल करने में सऊदी अरब, चीन और यूएई से मिले जबरदस्त समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. डील की घोषणा से कुछ समय पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'बातचीत के अंतिम चरण में आईएमएफ की शर्तें चीन से संबंधित थीं. इस दौरान जिस तरह से चीनी सरकार ने हमारा समर्थन किया और हमें मजबूत बनाया, उसके लिए मैं वास्तव में आभारी हूं.
भारत से बिछड़कर लोन के बल पल रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान ने 1950 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में शामिल होने के बाद से 24 IMF बेलआउट प्राप्त किए हैं. पिछली साल 2023 में डिफ़ॉल्ट के करीब पहुंचने के बाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था स्थिर हो गई है, लेकिन यह अपने भारी कर्ज के प्रबंधन के लिए IMF के बेलआउट और मित्र देशों से ऋण पर निर्भर है. ये सभी कर्जदाता पाकिस्तान की वार्षिक राजस्व का आधा हिस्सा ले जाते हैं.