व्हाइट हाउस में हुई इफ्तार पार्टी, मिडिल ईस्ट में तबाही के बाद मुस्लिमों को क्या संदेश देना चाह रहे डोनाल्ड ट्रंप?
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वार्षिक इफ्तार डिनर की मेजबानी की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम-अमेरिकियों के समर्थन के लिए आभार जताया. हालांकि, मुस्लिम समुदाय ने इसे पाखंड करार देते हुए विरोध प्रदर्शन किया. ट्रंप ने मध्य पूर्व में शांति प्रयासों का भी जिक्र किया, लेकिन आलोचकों ने इसे राजनीतिक अवसरवाद बताया. इस आयोजन ने राजनीति और धर्म के संबंधों पर नई बहस छेड़ दी.;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वार्षिक इफ्तार डिनर की मेजबानी की, जहां उन्होंने अमेरिकी मुस्लिम समुदाय के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मुस्लिम-अमेरिकियों ने रिकॉर्ड संख्या में उन्हें समर्थन दिया, जो उनके लिए 'अविश्वसनीय' था. ट्रंप ने अपने संबोधन में मुस्लिम समुदाय की धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया और पवित्र रमजान महीने के दौरान उनके समर्पण की सराहना की.
हालांकि, ट्रंप द्वारा आयोजित इस इफ्तार डिनर को लेकर अमेरिकी मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखने को मिली. व्हाइट हाउस के बाहर कई मुस्लिम सिविल राइट्स समूहों ने 'Not Trump's Iftar' नाम से विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह ट्रंप की कथनी और करनी में अंतर को दर्शाता है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि ट्रंप, जिन्होंने कभी मुस्लिमों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, अब राजनीतिक लाभ के लिए इफ्तार डिनर आयोजित कर रहे हैं.
इफ्तार होना ख़ुशी की बात
इफ्तार डिनर के दौरान ट्रंप ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि व्हाइट हाउस में ऐसा आयोजन होना खुशी की बात है और मेहमानों को इसका आनंद लेना चाहिए. उन्होंने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि अगर किसी को पसंद न आए तो वे शिकायत न करें क्योंकि वे अभी भी व्हाइट हाउस में हैं. हालांकि, इस तरह की टिप्पणियों को कई लोगों ने असंवेदनशील माना और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं की अनदेखी करने वाला बताया.
शांति के लिए प्रशासन कर रहा प्रयास
ट्रंप ने इस अवसर पर मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने के अपने प्रशासन के प्रयासों को भी उजागर किया. उन्होंने इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता में जनवरी में जो संघर्ष विराम हुआ था, वह मार्च में खत्म हो गया. हालांकि, ट्रंप के आलोचकों का कहना है कि उनके कार्यकाल की विदेश नीति ने मध्य पूर्व में स्थायी शांति लाने में कोई ठोस योगदान नहीं दिया.
बदल रहा मुसलमानों के प्रति रुख
इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिकी राजनीति में धर्म के इस्तेमाल को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है. ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति उनके बदले हुए रुख का संकेत है, जबकि विरोधियों का मानना है कि यह सिर्फ राजनीतिक अवसरवाद का एक और उदाहरण है. इफ्तार डिनर को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों ने दिखा दिया कि ट्रंप की मुस्लिम नीति को लेकर अब भी गहरी असहमति बनी हुई है.