गूगल ने अनजाने में कैद कर ली एक लव स्टोरी, बुजुर्ग कपल रहते थे साथ, फिर पति की हुई मौत और आखिरकार घर भी हुआ गायब
गूगल मैप ने अपने कैमरे में एक कपल की लव स्टोरी कैद की, जहां दो बुजुर्ग घर के बाहर सोफे पर हमेशा एक-साथ बैठे रहते थे और अचानक एक दिन पति की मौत हो जाती है. वहीं, कुछ साल बाद महिला भी इस दुनिया में नहीं रहती है. इतना ही नहीं, आखिर में उनका घर भी गायब हो जाता है.;
इंडोनेशिया के एक छोटे कस्बे में एक साधारण-सा नीला मकान था. मकान के बाहर हर रोज़ दो बुज़ुर्ग लोग बैठा करती थीं. एक बुज़ुर्ग पुरुष और उनकी पत्नी. ये सीन इतना साधारण और सामान्य था कि सड़क से गुज़रते लोग शायद ही ध्यान देते. पर जो चीज़ इंसानों की आंखें पकड़ नहीं पाईं, वही गूगल मैप्स का स्ट्रीट व्यू कैमरा हर साल कैद करता रहा.
2015 और 2016 की तस्वीरों में दोनों बुज़ुर्ग पास-पास बैठते दिखाई देते हैं. उनके चेहरों पर समय की लकीरें थीं, पर साथ रहने का एक सुकून भी था. बिना शब्दों के भी उनका रिश्ता बोलता था. यह प्रेम किसी दिखावे का नहीं था. बस रोज़ाना एक जैसी जगह पर बैठकर ज़िंदगी की सांसे गिनना ही उनका रिवाज़ था और फिर एक दिन पति की मौत हो गई, जिसके कुछ सालों बाद महिला ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया और हैरानी की बात घर भी गायब हो गया.
जब अकेली हो गई महिला
2017 आते-आते फोटो से वह बुज़ुर्ग पुरुष गायब हो गया. घर के सामने सिर्फ वह बूढ़ी महिला ही नजर आई. चेहरा भारी था, आंखों में खालीपन था. वह कुर्सी, जहां कभी उनका साथी बैठता था, अब ख़ाली रह जाती. फिर भी, वो वहीं बैठती रहीं, जैसे किसी के लौटने का इंतज़ार हो.
आखिर साल और खाली घर
2021 की आख़िरी तस्वीर... अब वहां केवल वही महिला थीं. समय की थकान साफ झलक रही थीऔर फिर, जैसे अचानक बहुत कुछ बदल जाता है, तस्वीरों में वो भी नहीं रहीं. कुर्सियां गायब हो गईं. 2025 आते-आते, वह नीला मकान भी मिट चुका था. सिर्फ ज़मीन बची थी.
तस्वीरों में कैद अलविदा
गूगल ने इसे कभी जान-बूझकर दर्ज नहीं किया था. पर उसके लेंस ने एक प्रेमकथा को अमर कर दिया. एक ऐसी कहानी, जहां सुबहें साथ शुरू हुईं, शामें साथ गुज़रीं, और फिर एक दिन सफ़र अधूरा रह गया.
लोग हुए इमोशनल
इस पोस्ट पर कई लोगों ने कमेंट किए. एक यूजर ने कहा कि 'वह अकेली 4 साल तक उसका इंतज़ार करती रही. उसके जाने के बाद कुर्सियां हट गईं, और फिर घर भी.' दूसरे ने कहा 'हम बस राहगीर ही तो हैं. एक दिन मिट जाते हैं. पीछे बस कुछ यादें बचती हैं, वो भी धीरे-धीरे खो जाती हैं.'