ये क्या बवाल है! यहां ऑफिस में मिल रहा 30 मिनट का ‘मास्टरबेशन ब्रेक’! कंपनी का टेंशन से लड़ने का अनोखा फॉर्मूला
सोचिए एक कंपनी स्ट्रेस को कम करने के लिए मास्टरबेशन ब्रेक दे रही है, वो भी 30 मिनट का. इसके लिए ऑफिस में एक रूम भी बनाया गया है. अब कंपनी ने इसे अपनी पॉलिसी में एड कर लिया है.;
स्ट्रेस दूर करने के लिए कंपनियां क्या-क्या नहीं करती हैं? कहीं योगा सेशन होते हैं, कहीं गेम खिलवाए जाते हैं, तो कहीं मेडिटेशन रूम बनाए जाते हैं, लेकिन एक स्वीडिश कंपनी ने तो कमाल ही कर दिया! यह कंपनी अपने कर्मचारियों को रोज़ 30 मिनट का “मास्टरबेशन ब्रेक” देती है. हां, आपने सही पढ़ा! और इसके लिए ऑफिस में बाकायदा एक प्राइवेट रूम भी बनाया गया है.
इस ब्रेक में वर्कर्स अपनी इच्छा अनुसार आराम कर सकते हैं, जिसमें खुद को संतुष्ट करना यानी मास्टरबेशन भी शामिल है. चलिए जानते हैं यह मामला कहां का है?
क्यों शुरू हुई यह खास पॉलिसी?
एरिका लस्ट इस कंपनी की मालिक हैं. उन्होंने देखा कि कोविड-19 महामारी के दौरान और उसके बाद उनकी टीम बहुत ज्यादा स्ट्रेस में थी. लॉकडाउन और घर में बंद रहने की वजह से सबका मन भारी और थका हुआ था. वो चाहते थे कि उनका स्टाफ फिर से खुश और काम में पूरी ताकत से जुट सकें. इसलिए उन्होंने एक नया आइडिया सोचा. सबसे पहले उन्होंने वर्कर्स को काम के बीच में 30 मिनट का आराम देने का छोटा एक्सपेरिमेंट किया, जिसमें वे अपनी मर्जी से खुद को स्ट्रेस फ्री कर सकें. यह तरीका इतना अच्छा साबित हुआ कि मई 2022 में इसे कंपनी की परमानेंट पॉलिसी बना दिया गया.
मास्टरबेशन से कैसे होता है फायदा?
एरिका ने अपने ब्लॉग में एक दिलचस्प बात लिखी. उन्होंने बताया कि जब इंसान खुद को थोड़ा वक्त देता है और अकेले में खुद को शांत करता है (जैसे मास्टरबेशन के ज़रिए), तो उसका मूड बेहतर होता है, दिमाग शांत रहता है और काम में ध्यान लगाना भी आसान हो जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि इससे ना सिर्फ़ तनाव कम होता है, बल्कि इंसान की सोचने और नया करने की ताकत यानी क्रिएटिविटी भी बढ़ती है. इसी सोच के साथ ऑफिस में एक खास प्राइवेट कमरा भी बनाया गया है, जिसे उन्होंने "मास्टरबेशन स्टेशन" नाम दिया. यहां कोई भी वर्कर अकेले जाकर थोड़ा समय खुद के साथ बिता सकता है.
स्पेशल इवेंट और कोलैबोरेशन
इस अनोखी पॉलिसी को और मज़बूत बनाने के लिए एरिका लस्ट की कंपनी ने एक कदम और आगे बढ़ाया. उन्होंने 'मास्टरबेशन मंथ' मनाया, जिसमें हर कर्मचारी को रोज़ाना 30 मिनट का पूरा प्राइवेट टाइम दिया गया, ताकि वो खुद को बेहतर महसूस कर सके और तनाव से राहत पा सके. इतना ही नहीं, कंपनी ने जर्मनी की एक मशहूर सेक्स टॉय कंपनी ‘फन फैक्ट्री’ के साथ मिलकर अपने कर्मचारियों को फ्री में सेक्स टॉय भी दिए, ताकि वो अपनी जरूरत और आराम के मुताबिक इस समय का पूरा फायदा उठा सकें. एरिका का मानना था कि खुश और मानसिक रूप से शांत कर्मचारी ही अच्छे काम कर सकते हैं और इस पहल ने उनकी टीम को वैसा ही बनाने में मदद की.
ऑफिस में यह पहल कैसी रही?
एक सर्वे में चौंकाने वाली लेकिन दिलचस्प बात सामने आई. लगभग 14 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे कभी-कभी काम के समय खुद को सेटिस्फाई करते हैं, यानी मेंटल स्ट्रेस से राहत पाने के लिए ऐसा तरीका अपनाते हैं. अब यह तो साफ़ नहीं है कि एरिका लस्ट की कंपनी में कितने स्टाफ उस खास प्राइवेट रूम (मास्टबेशन स्टेशन) का रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक बात ज़रूर साफ़ है. इस अनोखी पहल ने कर्मचारियों के मेंटल हेल्थ में सुधार किया है. यही वजह है कि कंपनी ने इस एक्सपेरीमेंट को सिर्फ़ एक टेस्ट तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे हमेशा के लिए अपनी पॉलिसी बना लिया.