धरती के चक्कर काट रहा 'मिनी मून' तय करने जा रहा नया सफर, दो महीने बाद फिर होगी वापसी

पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष में एक अनोखी चट्टान चक्कर काट रही है. जिसे 'मिनी मून' कहा जा रहा है. नासा ने इसे लेकर अपडेट जारी किया है. जानकारी के अनुसार अब यह चंद्रमा पृथ्वी के ग्रेविटेशनल क्षेत्र से दूर जाने वाला है.;

( Image Source:  Freepik- Representative Image )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 25 Nov 2024 3:44 PM IST

पृथ्वी के चारों को अंतरिक्ष में एक चट्टान चक्कर लगा रही है. इसपर वैज्ञानिक भी काफी हैरान है. वहीं इसे मिनी मून कहा जा रहा है. इस पर ताजा जानकारी सामने आई कि यह मिनी चंद्रमा अपने सफर से आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि इस एस्टोरॉयड को साइंटिस्ट ने 2024 पीटी5 नाम दिया है. यह सोमवार को पृथ्वी के ग्रेविटेशनल क्षेत्र से बाहर चला जाएगा.

इसे लेकर नासा की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें यह ग्रेविटेशनल फोर्स के कारण एस्टोरॉयड तेजी से पृथ्वी से दूर चला जाएगा. हालांकि इसके जनवरी में वापिस आने की जानकारी भी सामने आई है. ऐसा तब होगा जब यह लगभग 18 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा. इसके बाद यह सौर मंडल में अपनी यात्रा पर निकल जाएगा और 2055 तक वापस नहीं आएगा.

इस डिवाइस का इस्तेमाल करेगी नासा

वहीं इस अनोखे एस्टोरॉयड की जांच के लिए गोल्डस्टेन सौर सिस्टम रडार एंटीना का इस्तेमाल NASA करने वाला है. बता दें कि यह एक ऐसा डिवाइस है जो डीप स्पेस नेटवर्क का हिस्सा है. वैज्ञानिकों का इस पर कहना है कि यह डिवाइस अंतरिक्ष में इस चट्टान के बारे में और भी अधिक जानकारी जुटाने में मदद करने वाला है. वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि यह एस्टोरॉयड 33 फुट (10 मीटर) का पत्थर शायद चंद्रमा से ही उछलकर अंतरिक्ष में आया था. यह किसी बड़े क्षुद्रग्रह के प्रभाव से चंद्रमा से अलग हुआ हो सकता है. हालांकि, यह तकनीकी रूप से चंद्रमा नहीं है क्योंकि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ नहीं था.

कैसे हुई इसकी पहचान

वहीं जानकारी के अनुसार इस एस्टेरॉयड के व्यवहार को सबसे पहले स्पेन में कॉम्प्लूटेंस विश्वविद्यालय के एस्ट्रोनोमी भाइयों राउल और कार्लोस डी ला फुएंते मार्केस ने पहचाना था. उन्होंने टेलीस्कोप की मदद से और कई हजारों ऑब्जर्वेशन करते हुए इसकी रिसर्च कैनरी आयलैंड में की थी. वहीं फिलहाल यह एस्टेरॉयल 35 किलोमीटर दूर है, और इसका आकार छोटा होने के कारण इसे टेलीस्कॉप की मदद से भी देखना संभव नहीं है.

बता दें कि इस एस्टेरॉयड को पहली बार साल 2023 में सितंबर महीन के अंत में देखा गया था. उस दौरान पृथ्वी की ग्रेवेटेश्नल क्षेत्र में प्रवेश किया था. अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 2025 में वापस आने वाला है. उस समय इसकी स्पीड पिछली बार की तुलना में दोगुना तेज होगी. यह मिनी मून वैज्ञानिकों के के नजरिए से बेहद दिलचस्प है.

Similar News