भारत-अमेरिका संबंधों के लिए कैसा था डोनाल्ड ट्रंप का पहला कार्यकाल | 6 Points
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने से भारत-अमेरिका संबंधों पर भी असर पड़ने वाला है, जिसका अंदाजा हम उनके पिछले कार्यकाल से लगा सकते हैं. पीएम मोदी पहले ही उन्हें अपना 'परम मित्र' बता चुके हैं, जिसके साथ ही उन्होंने अपना पहला डिप्लोमेटिक दांव चल दिया है.;
India - America Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की ऐतिहासिक जीत के बाद ही पीएम मोदी ने उन्हें अपना 'परम मित्र' बताया था. 20 जनवरी को वह अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं.
दोनों के रिश्तों का असर साफ तौर पर आने वाले ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में भी देखने को मिलेगा, लेकिन आज हम यहां ट्रम्प के पहले कार्यकाल पर चर्चा करते हैं, जिससे हमें आने वाले समय भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में पता चल पाएगा.
ट्रम्प के पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंध-
1. ट्रम्प-मोदी के रिश्ते
डोनाल्ड ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल में 2017 से 2021 के बीच दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कई बड़े कदम उठाए. उन्होंने उस दौरान भारत और अमेरिका के संबंधों में रणनीतिक सहयोग और जियोपॉलिटिक्स पर फोकस किया.
ट्रम्प के कार्यकाल के पहले चार सालों के दौरान मोदी और ट्रम्प के बीच व्यक्तिगत संबंधों में मजबूती देखने को मिली. 2019 में मोदी की अमेरिका यात्रा और उसके बाद 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया.
2. रणनीतिक साझेदारी
अमेरिका-भारत संबंध विशेष तौर पर रक्षा, आतंकवाद-निरोध और व्यापार के क्षेत्र में मजबूत हुए. दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई, जिससे ड्रैगन पर प्रभाव बनाया जा सके.
कार्यकाल के दौरान ट्रम्प ने हथियारों की बिक्री और संयुक्त अभ्यास के जरिए सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भी काम किया. अमेरिका ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में भारत को एक प्रमुख भागीदार के रूप में मान्यता दी.
ट्रम्प के कार्यकाल में ही अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करते हुए क्वाड के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, जिसने चीन के प्रभाव को कम करने में मदद की.
3. ट्रम्प कार्यकाल में व्यापार संबंध
डोनाल्ड ट्र्म के पहले कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. ट्रम्प ने टैरिफ समेत भारत की व्यापारिक तरीकों की आलोचना भी की थी.
ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमीनियम प्रोडक्ट पर इम्पोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाया था. उन्होंने इसे लेकर भारत, चीन और ब्राजील पर निशाना साधा था.
ट्रम्प ने भारत को 'टैरिफ किंग ' भी कहा था. उन्होंने मई 2019 में जनरलाइज्ड प्रेफरेंस सिस्टम को खत्म कर दिया, इस दौरान भारत पर अमेरिका को अपने बाजारों तक उचित पहुंच नहीं देने का आरोप लगाया गया था.
4. H1-B वीजा पर ट्रम्प की सख्ती
अप्रवासियों और स्किल्ड H1-B वीजा होल्डर्स के खिलाफ ट्रम्प का रुख काफी सख्त रहा. उनका मनना था कि अमेरिकी लोगों की नौकरी बाहरी को अधिक मिल रही है, जिससे उन्होंने इस वीजा के लिए योग्यता को सख्त कर दिया, जिससे सिधा असर भारत पर देखने को मिला, क्योंकि सबसे अधिक H1-B वीजा के लिए भारतीय ही आवेदक होते हैं.
5. रक्षा सहयोग
दोनों देशों ने 2018 में संचार कैपेबिलिटी और सुरक्षा समझौते (COMCASA) सहित कई समझौतों के जरिए अपने रक्षा संबंधों को मजबूत किया. दोनों देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने पर एक साथ काम भी किया था.
अक्टूबर 2020 में भारत और अमेरिका ने जियोस्पेशियल सहयोग के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते (BECA) पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते ने खुफिया जानकारी शेयर करने, रक्षा सहयोग को बढ़ाने और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच जियोस्पेशियल सूचना को साझा करने का रास्ता क्लियर किया.
6. क्षेत्रीय मामले
अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प ने प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर भारत का समर्थन किया था. ये समर्थन खास तौर पर पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों के मामले में मिला था. अमेरिका ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किए जाने का समर्थन किया था.
अमेरिका ने 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FTF) के पाकिस्तान को ग्रे-लिस्टिंग में डालने का भी समर्थन किया था. हालांकि, ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को बढ़ावा देने की कोशिश की गई थी, जो उनकी कूटनीति का हिस्सा भी है. कुल मिलाकर भारत के आंतरिक मुद्दों में बिना हस्तक्षेप किए भारत का समर्थन किया.