कौन हैं Shi Yongxin? शाओलिन मंदिर के मठाधीश पर महिलाओं के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप, विवादों से रहा है नाता
Shaolin Temple In China: चीन की सरकार ने शाओलिन मंदिर के मठाधीश शि योंगशिन के खिलाफ जांच शुरू की है. उन पर महिलाओं के साथ यौन संबंध रखने और बच्चा पैदा करने का आरोप है. इसके अलावा मंदिर की राशि का दुरुपयोग का भी आरोप है. उन्होंने अपनी लास्ट पोस्ट में लिखा था कि जब आत्मा शुद्ध होती है, तो शुद्ध भूमि यहीं होती है.;
Shaolin Temple In China: चीन से एक ऐसा मामला सामने आया, जिसे सुनकर हर किसी के होश उड़ गए. दरअसल चाइना के प्रसिद्ध शाओलिन मंदिर के प्रभावशाली महंत शि योंगशिन (Shi Yongxin) पर महिलाओं के साथ यौन संबंध रखने का आरोप है.
समाचार एजेंसी AFP के अनुसार, चीनी सरकारी एजेंसियों ने रविवार (28 जुलाई) को महंत शि योंगशिन के खिलाफ एक बड़ी जांच शुरू की है. आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर इस संबंध में जानकारी दी कि शि योंगशिन पर परियोजना फंड और मंदिर की संपत्ति धड़पने का आरोप है.
कौन हैं शि योंगशिन?
शि योंगशिन (59) को सीईओ मोंक कहा जाता है, उन्होंने देश-विदेश में शाओलिन संस्कृति को बढ़ावा देने के नाम पर कई व्यावसायिक उपक्रम शुरू किए थे. मंदिर ने बताया कि इस मामले की जांच में कई सरकारी विभाग शामिल हैं. शि योंगशिन ने 1999 में शाओलिन मंदिर के महंत का पद संभाला था. उन्होंने शाओलिन संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले जाने की पहल की थी.
हालांकि उन पर बौद्ध धर्म को व्यवसायिक बनाने के आरोप भी लगते रहे हैं. 495 ईस्वी में स्थापित शाओलिन मंदिर को चीन के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में गिना जाता है. शि योंगशिन 2002 में बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष भी बने थे और राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा (नेशनल पीपल्स कांग्रेस) के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्होंने अपनी लास्ट पोस्ट में लिखा था कि जब आत्मा शुद्ध होती है, तो शुद्ध भूमि यहीं होती है.
क्या है आरोप?
शि योंगशिन पर कई महिलाओं के साथ यौन संबंध रखने और बच्चे पैदा करने का आरोप है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मठाधीश ने लंबे समय तक कई महिलाओं के साथ रिश्ता बनाया. ऐसा करके उन्होंने बौद्ध आस्था के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है. इससे पहले वह 2015 में विवादों में आए थे. उन पर मंदिर की धनराशि का गलत इस्तेमाल करने, महंगी कारों का बेड़ा रखने और बच्चों के पिता होने जैसे आरोप लगे थे.
तब समय मंदिर प्रशासन ने इन आरोपों को दुष्प्रचार कहकर खारिज कर दिया था. हालांकि इस बार की जांच पहले से कहीं अधिक गंभीर मानी जा रही है, क्योंकि इसमें औपचारिक रूप से राज्य के अधिकारी शामिल हैं. चीन में धार्मिक नेताओं की नियुक्ति सरकार की मंजूरी से होती है, और यदि कोई नैतिक या अनुशासनात्मक दोष पाया जाता है तो उसे पद से हटाया जा सकता है.