भारत को लेकर बदले कनाडा के सुर, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर कह डाली ये बात
कनाडा के उपविदेश मंत्री ने भारत को लेकर बयान जारी किया है. उनका कहना है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. कनाडा के इस बयान को लेकर चर्चा है कि क्या कनाडा भारत के साथ के रिश्तों को मजबूत करना चाहता है? और दोस्ती का हाथ आगे बढ़ा रहा है.;
कनाडा के उपविदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने भारत को लेकर बड़ा बयान जारी किया है. इस बयान के बाद कहा जा रहा है कि कनाडा ने भारत की ओर दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है.
कनाडा उपविदेश मंत्री का कहना है कि कि 'एक भारत है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. कनाडा का यह बयान निज्जर की हत्या के बाद सरकारी एजेंटों की 'संभावित' संलिप्तता के आरोपों को लेकर दोनों देशों के बीच पैदा हुई दरार के बाद यह पहला बयान आया है. कनाडा का रहने वाला निज्जर भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक था.
कनाडा की नीति स्पष्ट
एक कार्यक्रम के दौरान बयान जारी करते हुए मॉरिसन ने कहा कि कनाडा की नीति बुत स्पष्ट है. नीति ये कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जावना चाहिए. एक भारत है और यह बहुत ही स्पष्ट कर दिया गया है.
खालिस्तानियों के प्रति कैसा रहेगा कनाडा का रुख?
मॉरिसन के इस बयान की अगर बात की जाए तो इसका उद्देश्य खालिस्तानियों के प्रति रुख पर ओटावा की स्थिति को स्पष्ट करना था. इनमें कई नागरिक कनाडा के ही हैं. भारत ने इस मुद्दे को लेकर कई बार अपनी चिंता भी व्यक्तकी है. उन्होंने कहा कि न केवल कनाडा बल्कि कई देशों में खालिस्तानी के समर्थक हैं. हालांकि उनके इस बयान को भारत और कनाडा के बीच के संबंधों को सुधारने के नजरिए से देखा जा रहा है.
ट्रूडो के बयान से खराब हुए संबंध
साल 2023 सितंबर के महीने में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आतंकवादी निज्जर की हत्या के बाद भारत को लेकर एक बयान जारी किया था. इस बयान को भारत ने बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज तो किया था. साथ ही कनाडा के खालिस्तानियों को समर्थन देने का केंद्र बनने को लेकर चिंता भी व्यक्त की थी.
क्या दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा कनाडा?
इस साल 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम ट्रूडो ने प्रधानमंत्री मोदी को तीसरी बार सत्ता में वापसी करने को लेकर बधाई दी थी. उन्होंने कहा था कि भारत के साथ बातचीत अब राष्ट्रीय सुरक्षा और कनाडाई लोगों को सुरक्षित रखने और कानून के शासन से जुड़े कुछ गंभीर मुद्दों" पर फिर से शुरू हो सकती है.