बांग्लादेश में फिर क्यों बरपा है हंगामा? क्या देश छोड़ कर भागी शेख हसीना की वजह से मुश्किल में पड़े राष्ट्रपति
Bangladesh protest: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के रहस्य ने बांग्लादेश में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है. दर्शनकारी सड़कों पर वापस आ गए हैं और राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग कर रहे हैं.;
Bangladesh protest: बांग्लादेश में महज तीन महीने बाद फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की तरह इस बार भी आंदोलनकारी बड़ी संख्या में देश भर में एकजुट हो गए हैं. वह राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं. राजधानी ढाका में में बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति भवन, बंगभवन के सामने प्रदर्शन करते नजर आए. यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने संविधान को भी बदलने की मांग कर दी है.
प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारी राष्ट्रपति आवास में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन वहां तैनात भारी संख्या में पुलिस फोर्स ने उन्हें रोक लिया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को पद छोड़ने के लिए 24 घंटे का समय दिया है. शुरुआत में मंगलवार शाम को भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने ढाका के केंद्रीय शहीद मीनार पर एक विरोध रैली आयोजित की और बांग्लादेश के राष्ट्रपति से शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग करने लगे. इसी छात्र संगठन ने शेख हसीना को हटाने के लिए आंदोलन छेड़ा था.
क्यों भड़क उठे आंदोलनकारी?
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के आगे समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो गया है. दरअसल, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने साफ कर दिया है कि देश में चुनाव कराना पूरी तरह से असंवैधानिक होगा, क्योंकि अब तक उन्हें शेख हसीना का इस्तीफा पत्र नहीं मिला है. इस खबर के बाद से ही छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और 1972 के संविधान को निरस्त करने की मांग करने लगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग भी कर डाली है.
अभी देश की प्रधानमंत्री हैं शेख हसीना?
राष्ट्रपति के इस बयान के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सवाल ये है कि क्या शेख हसीना अभी भी देश की प्रधानमंत्री हैं? ठीक ऐसा ही दावा शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अगस्त में किया था. राष्ट्रपति का बयान अगर सच है तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर संवैधानिक तौर पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों की मांग
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेता हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पांच सूत्री मांग में शहाबुद्दीन को हटाने की समय सीमा तय की गई है, जिसमें बांग्लादेश के 1972 के संविधान को रद्द करना भी शामिल है. हसनत अब्दुल्ला ने कहा , 'हमारी पहली मांग मुजब (बांग्लादेश के संस्थापक नेता) समर्थक 1972 के संविधान को तत्काल रद्द करना है, जिसने चुप्पू (राष्ट्रपति का उपनाम) को पद पर बनाए रखा.' उन्होंने आगे कहा कि 2024 के बड़े पैमाने पर उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में (1972) संविधान को बदलकर एक नया संविधान लिखना होगा.