जितनी बड़ी भारत की इकोनॉमी, उससे 9 गुना ज्यादा अमेरिका पर कर्ज; सिर से पैर तक उधारी में डूबा दुनिया का सबसे अमीर मुल्क
अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज़ रिकॉर्ड 37 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, जो महामारी-पूर्व अनुमान से कई साल पहले का स्तर है. कोविड-19 के दौरान ट्रंप और बाइडेन प्रशासन ने बड़े पैमाने पर उधारी ली, जिसे रिपब्लिकन टैक्स कट और खर्च पैकेज ने और बढ़ा दिया. हर 5 महीने में 1 ट्रिलियन डॉलर जुड़ रहा है, जिससे ब्याज दरें, महंगाई और निवेश पर असर पड़ रहा है.;
अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज़ (National Debt) अब ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिकी सरकार का सकल राष्ट्रीय कर्ज़ 37 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है, जो देश के आर्थिक बैलेंस शीट पर बढ़ते दबाव और टैक्सपेयर्स पर भारी पड़ने वाले लागत बोझ को उजागर करता है. यह अमेरिकी ट्रेज़री डिपार्टमेंट की नवीनतम रिपोर्ट में दर्ज किया गया, जो हर दिन की वित्तीय स्थिति को ट्रैक करती है.
चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा महामारी-पूर्व अनुमानों से कई साल पहले हासिल हो गया. जनवरी 2020 में कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) का अनुमान था कि यह स्तर 2030 के वित्तीय वर्ष के बाद ही पार होगा. लेकिन कोविड-19 महामारी ने 2020 में जैसे ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को झटका दिया, सरकारी उधारी ने रिकॉर्ड तोड़ रफ्तार पकड़ ली. तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाद में जो बाइडेन प्रशासन ने अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और रिकवरी के लिए बड़े पैमाने पर कर्ज़ लिया.
इसके बाद भी भारी-भरकम खर्च के फैसले लिए गए, जिनमें रिपब्लिकन पार्टी का टैक्स कट और खर्च पैकेज शामिल है, जिसे इस साल की शुरुआत में ट्रंप ने कानून में बदला. CBO के मुताबिक, यह अकेला कानून अगले दशक में राष्ट्रीय कर्ज़ में 4.1 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ेगा.
कर्ज़ की रफ़्तार दोगुनी, हर 5 महीने में 1 ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा
पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के चेयर और सीईओ माइकल पीटरसन का कहना है कि सरकारी उधारी ब्याज दरों पर दबाव बढ़ाती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए कर्ज़ लेना महंगा हो जाता है और निजी क्षेत्र में निवेश घटता है. उन्होंने चेतावनी दी कि कर्ज़ का यह बोझ संघीय बजट की प्राथमिकताओं को बदल देता है, जिससे अन्य ज़रूरी कार्यक्रमों के लिए संसाधन घटते हैं और एक दुष्चक्र शुरू होता है - ज्यादा कर्ज़, ज्यादा ब्याज भुगतान, और फिर और कर्ज़.
पीटरसन ने कर्ज़ बढ़ने की तेज़ी पर भी ज़ोर दिया. जनवरी 2024 में राष्ट्रीय कर्ज़ 34 ट्रिलियन डॉलर था, जो जुलाई 2024 में 35 ट्रिलियन, नवंबर 2024 में 36 ट्रिलियन और अब अगस्त 2025 में 37 ट्रिलियन डॉलर हो गया. इसका मतलब है कि हर 5 महीने में 1 ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा हो रहा है, जो पिछले 25 वर्षों के औसत से दोगुनी गति है. ज्वाइंट इकनॉमिक कमेटी का अनुमान है कि मौजूदा गति से अगले 173 दिनों में एक और ट्रिलियन डॉलर जुड़ जाएगा.
कांग्रेस की नीतियां और बढ़ते कर्ज़ का संकट
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में सीनियर फेलो वेंडी एडेलबर्ग का कहना है कि कांग्रेस खर्च और राजस्व नीतियों को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाती है. उनके मुताबिक, रिपब्लिकन का हालिया टैक्स कानून यह सुनिश्चित करता है कि अमेरिका 2026 और 2027 में भी बड़े पैमाने पर उधार लेता रहेगा और फिलहाल कोई मंदी के संकेत नहीं हैं. अमेरिकी गवर्नमेंट अकाउंटेबिलिटी ऑफिस (GAO) ने भी चेतावनी दी है कि लगातार बढ़ता राष्ट्रीय कर्ज़ आम अमेरिकियों के लिए सीधा असर लाता है, जैसे मॉर्गेज और कार लोन के लिए ऊंची ब्याज दरें, कंपनियों के निवेश घटने से कम वेतन, और महंगे होते सामान व सेवाएं.
महामारी और नीतिगत फैसलों का असर
2020 में कोविड-19 महामारी के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा ठप हो गया. बेरोज़गारी में तेज़ उछाल आया और कंपनियों को भारी नुकसान हुआ. हालात संभालने के लिए ट्रंप प्रशासन ने बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज और राहत योजनाएं शुरू कीं. इसके बाद बाइडेन प्रशासन ने भी इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक कल्याण योजनाओं में भारी निवेश किया. इन योजनाओं ने अल्पकालिक आर्थिक राहत तो दी, लेकिन दीर्घकालिक रूप से सरकारी कर्ज़ पर भारी दबाव डाला.
टैक्स कट्स और खर्च पैकेज की भूमिका
रिपब्लिकन टैक्स कट और खर्च पैकेज, जिसे ट्रंप ने कानून का रूप दिया, कर्ज़ बढ़ाने में अहम कारक है. CBO के मुताबिक, यह अकेले अगले दस वर्षों में कर्ज़ में 4.1 ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा करेगा. आलोचकों का कहना है कि इस तरह के टैक्स कट अमीर तबकों और कंपनियों को तो फायदा पहुंचाते हैं, लेकिन इससे सरकारी राजस्व घट जाता है, जिसे कर्ज़ लेकर पूरा करना पड़ता है.
विशेषज्ञों की चेतावनी और समाधान की जरूरत
कमेटी फॉर अ रिस्पॉन्सिबल फेडरल बजट की अध्यक्ष माया मैकगिनेस का कहना है कि यह नया रिकॉर्ड नीति-निर्माताओं के लिए चेतावनी की घंटी है. उन्होंने कहा, "हमें इस समस्या से निपटने के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाने की जरूरत है." मैकगिनेस और पीटरसन जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि समाधान में खर्च में कटौती, टैक्स नीतियों की समीक्षा और दीर्घकालिक वित्तीय अनुशासन शामिल होना चाहिए.
क्या अमेरिका कर्ज़ के जाल से निकल पाएगा?
अमेरिकी राजनीति में कर्ज़ का मुद्दा लंबे समय से विवादित रहा है. डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों ही जरूरी खर्च और राजस्व नीतियों पर सहमत नहीं हो पाते. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में अमेरिका के लिए कर्ज़ पर नियंत्रण पाना और मुश्किल हो जाएगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस कर्ज़ का असर दिख सकता है, जैसे डॉलर पर दबाव, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की सख्ती, और विदेशी निवेशकों का भरोसा कम होना.
फिलहाल, 37 ट्रिलियन डॉलर का यह आंकड़ा न केवल अमेरिकी इतिहास में एक रिकॉर्ड है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि अगर आर्थिक और वित्तीय नीतियों में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में अमेरिकी टैक्सपेयर्स को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी.