18 दिनों से ठप पड़ी सरकार, सड़कों पर उतरे 70 लाख लोग, जानें क्या है No Kings Protest, US में ट्रंप के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन

अमेरिका में एक बार फिर लोकतंत्र की धड़कन सड़कों पर उतर आई है. हजारों नहीं, लाखों नहीं, बल्कि करीब 70 लाख लोग एक ही आवाज में बोले नो किंग्स. यानी यह देश किसी राजा का नहीं, जनता का है. यह प्रदर्शन सिर्फ एक विरोध नहीं था, यह अमेरिकी लोकतंत्र की आत्मा की पुकार थी. एक ऐसा संदेश जो सत्ता के गलियारों को हिला गया. इन ऐतिहासिक प्रदर्शनों का लक्ष्य था राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनकी कथित सत्तावादी राजनीति के खिलाफ आवाज बुलंद करना.;

( Image Source:  x-@JackBDann )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 19 Oct 2025 1:11 PM IST

अमेरिका में लोकतंत्र की आवाज सड़कों पर उतर आई है. 18 दिनों से सरकारी कामकाज ठप है, व्हाइट हाउस और संसद के बीच टकराव चरम पर है, और इसी उथल-पुथल के बीच देश में शुरू हुआ है 'No Kings प्रोटेस्ट', जिसे अब अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा जनआंदोलन कहा जा रहा है. करीब देशभर में 2,700 से ज्यादा जगहों पर सड़कों पर उतर आए, एक ही संदेश लेकर 'अमेरिका में कोई राजा नहीं होगा'.

लोगों का आरोप है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और तानाशाही थोपना चाहते हैं. भीड़ के हाथों में प्लेकार्ड थे, जिन पर लिखा था 'लोकतंत्र बचाओ', 'तानाशाही नहीं चलेगी', 'अत्याचार के खिलाफ उठो'. यह विरोध सिर्फ ट्रंप की नीतियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उस डर के खिलाफ है जो लाखों अमेरिकियों के दिलों में बैठ चुका है, क्या अमेरिका तानाशाही की ओर बढ़ रहा है? लेकिन आखिर 'नो किंग्स आंदोलन' है क्या? क्यों यह इतने बड़े पैमाने पर फैल गया? और इस विरोध का असली संदेश क्या है? आइए समझते हैं.

क्या है 'नो किंग्स' आंदोलन‘?

नो किंग्स’ आंदोलन ऐसे वक्त हुआ जब अमेरिकी सरकार 18 दिनों से शटडाउन में पड़ी है. बजट को लेकर व्हाइट हाउस और कांग्रेस में टकराव ने सरकारी कामकाज रोक दिया था. इसका असर सरकारी कर्मचारियों से लेकर आम नागरिकों तक पहुंचा. कई फेडरल कर्मचारी वेतन के बिना घर पर बैठे थे. ऐसे माहौल में लोगों का गुस्सा उबल पड़ा. प्रशासन और डेमोक्रेटिक सांसदों के बीच फंडिंग बिल को लेकर गतिरोध ने देशभर में संकट बढ़ा दिया है. इसी बंद के लिए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को जिम्मेदार बताया.

सड़क पर उतरे 70 लाख लोग

इस प्रोटेस्ट में करीब 70 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इस आंदोलन की जड़ें ट्रंप की उन नीतियों में हैं, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने तानाशाही की ओर बढ़ता कदम बताया. इमिग्रेशन पर कड़ी कार्रवाई, शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती, मेडिकेयर और शिक्षा फंडिंग में कटौती, और सरकार के 18 दिनों से जारी शटडाउन ने जनता के बीच असंतोष को ज्वालामुखी बना दिया.

राष्ट्रपति ट्रंप की प्रतिक्रिया

जब पूरा देश “नो किंग्स” के नारों से गूंज रहा था, राष्ट्रपति ट्रंप फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में थे. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि 'वे मुझे राजा कहते हैं, लेकिन मैं राजा नहीं हूं.' हालांकि, इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश कम नहीं हुआ. रिपब्लिकन नेताओं ने इन रैलियों को “हेट अमेरिका रैली” बताया, जबकि कुछ राज्यों जैसे टेक्सास और वर्जीनिया में गवर्नरों ने प्रदर्शन के मद्देनज़र नेशनल गार्ड को सतर्क कर दिया.

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