टाइटेनियम से बने हार्ट पर 100 दिनों तक जिंदा रहा शख्स, जानें BiVACOR की खासियत
ऑस्ट्रेलिया के 40 वर्षीय व्यक्ति ने टाइटेनियम आर्टिफिशियल हार्ट के साथ 100 दिन तक जीवन व्यतीत किया और सफलतापूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट करवाया. BiVACOR नामक यह डिवाइस हृदय विफलता से जूझ रहे मरीजों के लिए एक अस्थायी समाधान हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भविष्य में स्थायी विकल्प बन सकता है, जिससे हृदय दान की आवश्यकता कम हो सकती है.;
ऑस्ट्रेलिया में 40 साल का व्यक्ति टाइटेनियम से बने आर्टिफिशियल हार्ट के साथ 100 दिनों तक जिंदा रहा. इसके बाद उसने सक्सेसफुल हार्ट ट्रांसप्लांट करवाया. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इस तरह हार्ट ट्रांसप्लांट करवाने वाले सभी लोग अस्पताल में ही रहते थे, लेकिन यह शख्स अस्पताल से बाहर जाकर सामान्य जीवन जीने वाला पहला व्यक्ति बन गया है.
BiVACOR नामक यह कृत्रिम हृदय एक अस्थायी उपाय के रूप में उपयोग किया जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो डोनर का वेट कर आरहे होते हैं. यह डिवाइस पूरा हार्ट ट्रांसप्लांट है और बढ़िया तरीके से काम करता है. इसमें एक चुंबकीय रूप से निलंबित रोटर होता है, जो शरीर में रक्त का प्रवाह बनाए रखता है. ह्यूस्टन स्थित टेक्सास हार्ट इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिवाइस भविष्य में हार्ट ट्रांसप्लांट का एक बेहतर विकल्प बन सकता है.
हार्ट थेरेपी के लिए बढ़िया कदम
ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के डॉक्टर जूलियन स्मिथ ने इस उपलब्धि को हृदय चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बताया है. वहीं, सिडनी विश्वविद्यालय की वैस्कुलर सर्जन सारा ऐटकेन ने इसे एक अविश्वसनीय इनोवेशन बताया, लेकिन साथ ही इस तकनीक की लागत और लॉन्ग टाइम इम्पैक्ट पर सवाल उठाए. उनका मानना है कि यह प्रक्रिया बहुत महंगी और जटिल है, जिससे इसे व्यापक रूप से अपनाने में समय लग सकता है.
किसने बनाया ये इक्विपमेंट?
BiVACOR का आविष्कार बायोमेडिकल इंजीनियर डैनियल टिम्स ने किया था. इस इक्विपमेंट के पीछे मुख्य विचार यह था कि यह मेकैनिकल हृदय की पुरानी समस्याओं को हल कर सके. आमतौर पर, अन्य मेकैनिकल इक्विपमेंट हार्ट के केवल एक हिस्से को सहारा देते हैं और कई चलने वाले हिस्सों के कारण जल्दी खराब हो जाते हैं. लेकिन BiVACOR में केवल एक मूविंग पार्ट है, जिससे इसके खराब होने की संभावना कम हो जाती है.
हार्ट ट्रांसप्लांट होगा आसान
विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिवाइस उन लोगों के लिए स्थायी समाधान बन सकता है जो अपनी उम्र या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए योग्य नहीं हैं. अमेरिका में हर साल हज़ारों लोग हार्ट फेल होने से जूझते हैं, लेकिन सीमित दाताओं के कारण बहुत कम लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट मिल पाता है. इस तकनीक के जरिए ऐसे मरीजों को जीवनदान मिलने की उम्मीद है.
कई टेस्ट अभी भी है बाकी
हालांकि, अभी इस तकनीक को पूरी तरह अपनाने से पहले कई परीक्षण किया जाना बाकी है. वैज्ञानिकों को यह समझना होगा कि मरीज लंबे समय तक इस कृत्रिम हृदय के साथ कैसे जीवित रह सकते हैं. यह सफलता भविष्य में हृदय विफलता से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए एक नई रोशनी लेकर आ सकती है.