पाकिस्तान में हिंदू बच्ची के साथ हैवानियत, रेप के बाद की हत्या फिर कूड़े में फेंका शव
पाकिस्तान में हिंदू नाबालिग लड़कियों के साथ रेप, जबरन शादी और धर्म परिवर्तन के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. खासतौर पर ऐसी घटनाएं पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र से आती है, जहां हिंदू आबादी सबसे ज्यादा है.;
पाकिस्तान से एक मामला सामने आया है, जिसने फिर से धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्ष को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत हिंदू आबादी सबसे ज्यादा है. इसलिए ज्यादातर मामले इस क्षेत्र से जुडे होते हैं. कई मामलों में पीड़ित लोगों को न्याय भी नहीं मिल पाता है.
यहां 15 साल की हिंदू लड़की का रेप कर उसे मौत के घाट उतारा गया. इतना ही नहीं, लड़की की लाश को दरगाह उस्मान शाह के पास कूड़े के ढेर में फेंका गया. यह पहली बार नहीं है, जब किसी हिंदू नाबालिग लड़की के साथ ऐसा हुआ है. कुछ दिन पहले हेमा और वेंटी नाम की दो हिंदू लड़कियां इस्लामकोट, थारपारकर, सिंध में एक पेड़ से लटकी हुई पाई गई थीं. यह घटनाएं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिती बयां करती है.
50 साल के अधेड़ से शादी
सिंध प्रात में एक 15 साल की लड़की को अगुवा कर धर्म परिवर्तन करवाया गया. इसके बाद नाबालिग की शादी एक 50 साल के अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ करवाई गई. इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि इस मामले में पुलिस की मिलीभगत है. हालांकि, पुलिस ने लड़की को अपनी हिरासत में लेकर घर वापस भेज दिया है.
नाबालिग लड़कियों के साथ आम समस्या
पाकिस्तान की हिंदू आबादी के एक बड़े हिस्से के घर सिंध में नाबालिग लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं आम हैं. लोकल रिपोर्ट और मानवाधिकार संगठन अक्सर इन घटनाओं को डॉक्यूमेंटेशन करते हैं. इसके बावजूद इन पर किसी भी ऑफिसर का ध्यान कम ही जाता है. इसके कारण पीड़ितों और उनके परिवारों को अक्सर भारी दबाव, कानूनी बाधाओं और धमकियों का सामना करना पड़ता है, जिससे न्याय पाना लगभग असंभव हो जाता है.
अदालतें भी करती हैं नजरअंदाज
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा न्यायिक प्रणाली के कारण बद से बदतर हो जाती है. खासतौर पर जबरन धर्मांतरण से जुड़े मामलों में अपराधियों का ही पक्ष लिया जाता है. अदालतें "धार्मिक स्वतंत्रता" का हवाला देते हुए चीजों के पीछे की जबरदस्ती और हिंसा को नजरअंदाज़ करते हुए ऐसे धर्मांतरण और शादियों को वैध ठहराती है.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को फिजिकल वॉयलेंस के अलावा शिक्षा, रोज़गार और राजनीति में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. इस देश में गैर-मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरी बातें आम बात हैं, जो सोशल प्रिज्यूडिस को और भी गहरा करती हैं.