चुनाव आयोग (ECI) ने 345 पंजीकृत लेकिन अमान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों (RUPPs) को डीलिस्ट यानी सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इन पार्टियों पर वर्षों से चुनावी गतिविधियों में हिस्सा न लेने, आय-व्यय का ब्योरा न देने, फर्जी पते पर पंजीकरण कराने और टैक्स चोरी जैसी गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. कई मामलों में यह भी पाया गया है कि कुछ पार्टियां सिर्फ काले धन को सफेद करने और राजनीतिक चंदे के नाम पर घोटाले करने का ज़रिया बनी हुई थीं. ECI के इस फैसले का मकसद देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को साफ और पारदर्शी बनाना है. अब सवाल ये उठता है कि ये पार्टियां कौन हैं? क्या ये टैक्स चोरी में लिप्त हैं? क्या इनमें से कुछ सिर्फ काले धन को सफेद करने का ज़रिया थीं? और क्या इसका देश की राजनीति पर कोई असर पड़ेगा? इस वीडियो में जानिए सभी सवालों के जवाब.