"एक रात में जैसे सब कुछ मिटा दिया गया." यह कोई उपन्यास की पंक्ति नहीं है, यह सच्चाई है. मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के मोरवा इलाके में 50,000 से ज़्यादा लोगों को बेदखल किया जा रहा है, क्योंकि सरकारी उपक्रम Northern Coalfields Limited (NCL) यहां कोयला खनन परियोजना का विस्तार कर रहा है. सरकार इस परियोजना को “एशिया का सबसे बड़ा शहरी पुनर्विकास” बता रही है. उनका दावा है कि सभी प्रभावितों को उचित मुआवज़ा, नए घर और पुनर्वास की सुविधाएं दी जाएंगी. लेकिन क्या मुआवज़ा 'घर' लौटा सकता है? एक बुजुर्ग महिला ने डबडबाईं आंखों के साथ कहा, "हमने यहां बच्चों को बड़ा किया, त्योहार मनाए, अपनों को खोया भी – अब ये सब मलबा बन जाएगा." विस्थापितों का कहना है – मुआवज़ा पैसा दे सकता है, पर यादें, जड़ें और पड़ोस का अपनापन कभी वापस नहीं आता.