“मैं सिर्फ पहाड़ नहीं, धरती की याददाश्त हूं” - अरावली की पुकार और उत्तर भारत पर मंडराता खतरा

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Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 22 Dec 2025 6:30 PM IST

“मैं सिर्फ एक पहाड़ नहीं हूं, मैं धरती की याददाश्त हूं.” अरावली दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और हिमालय से भी कहीं ज़्यादा पुरानी मानी जाती है. गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली अरावली ने अरबों वर्षों से उत्तर भारत को प्राकृतिक सुरक्षा कवच दिया है. अरावली ने न सिर्फ थार रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोका, बल्कि जलवायु संतुलन बनाए रखा, भूजल को संरक्षित किया और आज भी दिल्ली-NCR की हवा और तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई है. लेकिन आज यही अरावली सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है.


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