इस दिवाली आइए सुनिए उन बुजुर्गों की वो कहानियां जो दिल को गहराई तक छू जाती हैं. वो अब एक वृद्धाश्रम में रहते हैं कोई अपने बच्चों से मीलों दूर, तो कोई सिर्फ गुज़रे अपनों की यादों के सहारे. यहां न दौलत की कोई कीमत है, न ओहदे की कोई पहचान. दिवाली के इस मौके पर स्टेट मिरर हिंदी ने ऐसे ही एक वृद्धाश्रम का रुख किया, जहां हमने उन मां-बाप से बात की जिन्हें कभी उनके ही बच्चों ने लूटकर, घर से निकालकर, सड़क पर अकेला छोड़ दिया था. आज भी उनकी आंखों में उम्मीद है. शायद एक दिन उनके अपने लौट आएं.