‘कट्टरता नहीं, संवाद ज़रूरी’, शबनम खान ने कहा - मक्का यात्रा ने बदला हिंदू-मुस्लिम बहस पर नजरिया
शबनम खान ने हिंदू-मुस्लिम संवाद और सांस्कृतिक बहस पर बेबाक राय रखी. उन्होंने कहा कि हर धर्म और समाज में कुछ कट्टर मान्यताएं और पुराने रीति-रिवाज़ मौजूद हैं, जो समय के साथ समाज की प्रगति में बाधा बन जाते हैं. शबनम खान ने अपनी मक्का यात्रा और निजी आध्यात्मिक अनुभवों का ज़िक्र करते हुए बताया कि इस यात्रा ने उनके सोचने का नजरिया पूरी तरह बदल दिया. उनका मानना है कि टकराव की जगह संवाद, समझ और आत्मचिंतन ही समाज को आगे ले जा सकता है. उनसे बात की स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर-क्राइम इन्वेस्टीगेशन, संजीव चौहान ने.