कभी किसी ने सोचा था कि हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकला एक लड़का एक दिन देश की सबसे बड़ी अदालत की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठेगा? वो गांव, जहां कभी बिजली मुश्किल से आती थी... जहां बच्चे बेंच के बिना मिट्टी पर बैठकर पढ़ते थे... और जहां एक सपना देखने का मतलब था संघर्ष की राह चुनना. आज वही सपना हकीकत बनने जा रहा है. बात हो रही है जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) की — जो अगले महीने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ लेंगे. यह पल इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि सूर्यकांत भारत के पहले हरियाणवी मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. उनकी कहानी सिर्फ मेहनत और लगन की नहीं, बल्कि इस बात की मिसाल है कि सीमित संसाधन भी बड़े सपनों को रोक नहीं सकते.