27 मई 1964 को जब देश ने अपने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को खोया, तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर एक बड़ा सवाल उठा. नेहरू ने अपनी वसीयत में साफ लिखा था कि उनके मरने के बाद कोई धार्मिक क्रियाकर्म न हो. फिर भी उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से किया गया. आखिर क्यों इंदिरा गांधी ने अपने पिता की आखिरी इच्छा को नज़रअंदाज़ किया? क्या ये राजनीतिक दबाव था या भारतीय संस्कृति से समझौता? जानने के लिए देखें ये वीडियो