यमुना नदी का पानी भले ही उतर गया हो, लेकिन उसकी छोड़ी तबाही दिल्ली में आज भी साफ दिखाई देती है. शास्त्री पार्क और मयूर विहार के राहत शिविरों में हजारों लोग अपने उजड़े घरों की यादों के साथ जिंदगी काटने को मजबूर हैं. ग्राउंड रिपोर्ट में बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि उन्हें न तो पर्याप्त खाना मिल रहा है, न साफ पानी और न ही प्राथमिक चिकित्सा. बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, बुजुर्ग दवाइयों के लिए तरस रहे हैं और परिवार तिरपाल के नीचे तंग हालात में रह रहे हैं. लोगों का सवाल है कि हर साल बाढ़ आती है, तबाही होती है, लेकिन सरकार की तैयारी क्यों नाकाफी रहती है? राहत कार्य कागज़ों पर ज्यादा और जमीनी हकीकत में कम दिखाई दे रहे हैं. यह ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के बाढ़ पीड़ितों के लिए आज सबसे बड़ी लड़ाई जिंदा रहने की जद्दोजहद है...