फिल्म Baaghi 4 के रिलीज़ होते ही सिने प्रेमियों के बीच यह चर्चा तेज़ हो गई है कि फिल्मों में हिंसा की मात्रा लगातार क्यों बढ़ती जा रही है. दर्शकों का एक वर्ग मानता है कि एक्शन और हिंसक दृश्य फिल्म को रोमांचक बनाते हैं, जबकि दूसरे का कहना है कि इसका असर युवाओं पर गलत पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्मों में हिंसा का बढ़ता ग्राफ केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज में तनाव, असुरक्षा और आक्रोश की मनःस्थिति को भी दर्शाता है. कई मनोवैज्ञानिक इसे लोकप्रियता पाने का तरीका बता रहे हैं, तो कुछ इसे व्यावसायिक लाभ के लिए प्रयोग की जा रही रणनीति मानते हैं.