अहिल्याबाई होल्कर एक ऐसी रानी थीं जिन्होंने परंपराओं को चुनौती दी, पति की मृत्यु के बाद सती होने से इनकार किया और न्यायप्रियता की मिसाल कायम की. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर समेत कई ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया और जनता की शिकायतें सुबह 4 बजे उठकर खुद सुनीं. यहां तक कि जब उनके बेटे ने अन्याय किया, तो उसे मृत्युदंड तक दे दिया, जो बाद में उसकी उम्र के कारण माफ हुआ. अंग्रेजों ने भी उन्हें "Philosopher Queen" कहा. वह सिर्फ एक रानी नहीं, बल्कि एक आंदोलन और जीते-जागती आदर्श बन गईं, जिनकी छाप आज भी मंदिरों और लोगों के दिलों में बसी है.