BRICS Summit 2024: कितना ताकतवर है ब्रिक्‍स? कौन-कौन देश हैं शामिल, दुनिया को ऐसे कर रहा प्रभावित

BRICS Summit 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए रूस के कज़ान पहुंच चुके हैं. ब्रिक्स का यह 16वां समिट है. ब्रिक्स देशों में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. इसके साथ कुछ अन्य देशों को भी शामिल किया जा सकता है;

Curated By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 22 Oct 2024 1:48 PM IST

BRICS Summit 2024: रूस के कजान में मंगलवार से 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह करीब 7:40 बजे भारत से निकलें और दोपहर 1 बजे पहुंच चुके हैं. ब्रिक्स देशों में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. इसके साथ कुछ अन्य देशों को भी शामिल किया जा सकता है. इस बैठक में कई बड़े प्रभाव हो सकते हैं. जिसने से एक ब्रिक्स करेंसी तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया (X) पोस्ट करते हुए भारत के लिए ब्रिक्स के महत्व का भी ज़िक्र किया है और कहा है कि वो इस समिट में कई व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने जा रहे हैं. उन्होंने लिखा है कि वो इस समिट के दौरान कई नेताओं से मुलाक़ात भी करेंगे. मोदी इससे पहले 8-9 जुलाई को रूस गए थे. यानी इस साल पीएम मोदी का यह दूसरा रूस दौरा है.


क्या है ब्रिक्स?

ब्रिक्स दुनिया की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक संगठन का नाम है. ब्रिक्स की स्थापना जून 2006 में हुई थी. इसमें पहले चार देश ही शामिल थे जिनमें ब्राजीन, रूस, भारत और चीन था. जिसका नाम ब्रिक( BRIC) था. साल 2010 में इस संगठन में दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हो गया. इसके बाद इस सगंठन का नाम बदलकर BRIC की जगह BRICS रख दिया है.

इस सगंठन में पांच और नए सदस्य देश जुड़ चुके हैं. इनमें एजिप्ट, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नाम शामिल हैं, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता हर साल इसके सदस्य राष्ट्रों की ओर से की जाती है. पांच देशों में से हर साल नाम बदलकर इस सम्मेलन की मेजबानी करते हैं. साल 2009 में पहला ब्रिक्स सम्मेलन आयोजित किया गया था.

क्या है इसका उद्देश्य?

ब्रिक्स का पहला उद्देश्य राजनिति और सुरक्षा है. इसके तहत ब्रिक्स में शामिल देशों में वैश्विक, क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक राजनीतिक क्षेत्रों में संवाद बढ़ाना है. दूसरा उद्देश्य आर्थिक और वित्तिय है. इसके मुताबिक व्यापार कृषि और बुनियादी ढाचें सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है.

ब्रिक्स करेंसी कब होगी जारी?

22 से 24 अक्टूबर को रूस के कज़ान में होने वाले बिक्स शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है. अगर इस नई करेंसी पर सहमति बन जाती है तो इसके सदस्य देश अमेरिकी डॉलर के बदले इस नई करेंसी में आपसी डील करेंगे. यह अमेरिका और अमेरिकी करेंसी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.

ब्रिक्स देशों के पास एक नई मुद्रा स्थापित करने की इच्छा के कई कारण हैं. हाल ही में वैश्विक वित्तीय चुनौतियों और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीतियों की वजह से ब्रिक्स देशों को एक साझा नई करेंसी की जरूरत पड़ी. ब्रिक्स देश चाहते हैं कि अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता कम कर आर्थिक हितों के लिए नई करेंसी शुरू करें.

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