और सख्त हुआ उत्तराखंड धर्मांतरण संशोधन विधेयक, नए प्रावधानों पर CM का बयान, समझें 10 प्वाइंट्स में सब कुछ
उत्तराखंड कैबिनेट ने 13 अगस्त को धर्मांतरण संशोधन विधेयक को इस उद्देश्य से मंजूर किया है कि अनैतिक दबाव व धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी. पीड़ितों की सहायता सुनिश्चित होगी और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना संभव होगा. मुख्यमंत्री धामी ने इसे जनता के जनादेश से प्रेरित और राज्य की सांस्कृतिक सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बताया.;
उत्तराखंड धर्मांतरण विधेयक को और सख्त करने की लगातार उठ रही मांग को देखते हुए 13 अगस्त को पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी. नए विधेयक में 'जबरन धर्मांतरण' के लिए अधिकतम आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. सरकार 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के तीन दिवसीय मानसून सत्र के दौरान इस विधेयक को सदन में रखेगी. 10 प्वाइंट्स में समझें इस विधेयक के बारे में सब कुछ.
यह संशोधन पिछले 2022 के धर्मांतरण विरोधी कानून की तुलना में कहीं अधिक व्यापक और सख्त है. इसमें पहले 2 से 10 वर्ष की सजा और 25 हजार तक का जुर्माना था. अब यह कई गुना कर दिया गया है. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2025 के 10 प्रमुख बिंदु;
1. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2025 अधिकतम जेल की सजा 10 साल और अधिकतम जुर्माना 50 हजार रुपये का प्रावधान है. है. जबकि संशोधित विधेयक में जेल की अवधि बढ़ाकर 14 साल और कुछ मामलों में 20 साल करने का प्रस्ताव है, जो आजीवन कारावास तक भी बढ़ सकती है. बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है. जिलाधिकारी धर्मांतरण से संबंधित अपराधों से अर्जित संपत्ति जब्त कर सकते हैं.
2. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट के फैसले के कुछ घंटों बाद मीडिया के सवालों के जवाब में कहा, "उत्तराखंड देवभूमि है और एक ऐसा स्थान है जहां सदियों से संत महात्मा आते रहे हैं और तपस्या करते रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में अवैध धर्मांतरण की आड़ में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कई उदाहरण सामने आए हैं. प्रस्तावित संशोधन हमारी ओर से एक बड़ा कदम है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस हिमालयी राज्य के सामाजिक ताने-बाने में कोई बदलाव न आए. इसलिए, हमने इस अवैध प्रथा पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं."
3. धामी कैबिनेट के प्रस्ताव के अनुसार, "जो कोई भी अवैध धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी या (अन्य) संस्थाओं से धन प्राप्त करता है, उसे कम से कम सात वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो 14 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा." मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन कदमों को जनता की मर्जी से प्रेरित बताया और कहा कि इसका मकसद प्रदेश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना है, जो वहीं के लोगों की मांग का परिणाम है.
4. सीएम ने आगे कहा, "जो कोई भी धर्म परिवर्तन के इरादे से, जान-माल का भय पैदा करता है, हमला करता है या बल प्रयोग करता है, विवाह का वादा करता है या ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाता है या षड्यंत्र रचता है, या किसी नाबालिग महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है या उन्हें अन्यथा बेचता है, या इस उद्देश्य के लिए प्रयास करता है या षड्यंत्र रचता है, उसे कम से कम 20 वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो आजीवन कारावास तक हो सकता है."
5. नए प्रावधानों के अनुसार विवाह के लिए धर्म छिपाना एक अपराध है और अपराधियों को तीन से 10 साल की जेल और 3 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. 'सामूहिक धर्मांतरण' के संबंध में दस्तावेज में कहा गया है कि इसके लिए कम से कम सात साल और अधिकतम 14 साल की कैद की सजा होगी और कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
6. नाबालिग महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्ति, या विकलांग या मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति के मामले में कम से कम पांच साल की कैद होगी, जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा. सामान्य मामलों में जेल की अवधि तीन साल से 10 साल तक और 50 हजार रुपये का जुर्माना होगा.
7. नए प्रावधानों के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होंगे. बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकेगी और जमानत तभी दी जाएगी जब अदालत को यकीन हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगा. नए प्रस्ताव के अनुसार यदि धर्मांतरण से संबंधित अपराधों के माध्यम से कोई संपत्ति अर्जित की जाती है, तो जिला मजिस्ट्रेट उसे जब्त कर सकता है.
8. धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक में ये भी प्रावधान है कि यदि जिला मजिस्ट्रेट के पास यह मानने का कारण है कि किसी व्यक्ति के कब्जे में कोई संपत्ति, चाहे वह चल हो या अचल, इस अधिनियम के तहत किसी अपराध के परिणामस्वरूप अर्जित की गई है, तो वे ऐसी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकते हैं, भले ही अदालत ने ऐसे अपराध का संज्ञान लिया हो या नहीं.
9. उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में एक सख्त संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत जबरन धर्मांतरण के लिए आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. यह विधेयक आगामी विधानसभा सत्र में पारित होने की उम्मीद है, जिसमें जेल की अवधि बढ़ाई गई है और बिना वारंट के गिरफ्तारी की इजाजत दी गई है.
10. अब सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने की गतिविधि कानून की दायरे में आएगी. धर्मांतरण गतिविधियों के लिए विदेश से धन प्राप्त करने पर भी अब जुर्माना 10 लाख रुपये तक लगाया जा सकता है. पीड़ितों को संरक्षण, चिकित्सा, पुनर्वास, यात्रा व भरण-पोषण जैसी सुविधाएं प्रदान करने का प्रावधान जोड़ा गया है.