वोट बूथ से जिला पंचायत के पांच सदस्यों का नैनीताल में दिनदहाड़े अपहरण, मुंह फेरे खड़े रहे कानून के रखवाले

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाया. उनका कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता ज़बरन कांग्रेस समर्थित सदस्यों का अपहरण कर रहे हैं ताकि पंचायत अध्यक्ष चुनाव को प्रभावित किया जा सके. इस मामले को तुरंत गंभीर मानते हुए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.;

Edited By :  रूपाली राय
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उत्तराखंड के पहाड़ी शहर नैनीताल में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया जब जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बीच अचानक अफरातफरी का माहौल बन गया. बताया गया कि कांग्रेस समर्थित पांच निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को दिनदहाड़े एक मतदान केंद्र के बाहर से उठा लिया गया. यह घटना इतनी गंभीर थी क्योंकि यह मतदान केंद्र उत्तराखंड हाईकोर्ट से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित था. जानकारी के अनुसार, अपहरण नैनीताल की सबसे भीड़-भाड़ वाली जगह मॉल रोड पर हुआ. वहां मौजूद लोग इस वारदात को देखकर स्तब्ध रह गए. खुलेआम हुई इस घटना ने पूरे शहर में दहशत फैला दी और कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. 

बीजेपी कार्यकर्ताओं की मिलीभगत

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाया. उनका कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता ज़बरन कांग्रेस समर्थित सदस्यों का अपहरण कर रहे हैं ताकि पंचायत अध्यक्ष चुनाव को प्रभावित किया जा सके. इस मामले को तुरंत गंभीर मानते हुए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.  मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और इसे लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक बताया. कोर्ट ने जिला प्रशासन और पुलिस पर कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने आदेश दिया कि सभी 10 उम्मीदवारों को सुरक्षा के साथ मतदान केंद्र तक पहुंचाया जाए, डीएम और एसएसपी पूरे मामले की निगरानी करें और सीसीटीवी फुटेज खंगालें, किडनैपर्स को शाम 4:30 बजे तक अदालत के सामने पेश किया जाए. लेकिन जब तय समय तक किडनैपर्स कोर्ट में पेश नहीं किए गए, तब स्थिति और गंभीर हो गई. 

अपहरण के वीडियो सबूत

याचिकाकर्ता ने अदालत में दो वीडियो पेश किए. पहले वीडियो में एक सदस्य को ज़बरदस्ती घसीटते हुए ले जाया जा रहा था और बगल में खड़ा पुलिसकर्मी सब कुछ देखकर भी मुंह फेर कर खड़ा रहा. दूसरे वीडियो में तीन और सदस्यों को जबरन ले जाते हुए दिखाया गया. इन वीडियो ने प्रशासन की भूमिका और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. अपहृत सदस्यों के परिजनों ने कहा कि जब वे पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने पहुंचाते तो पुलिस ने उनका केस दर्ज करने से इनकार कर दिया. इससे लोगों में गुस्सा और बढ़ गया.

कोर्ट की नाराज़गी 

मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान बेहद नाराज़गी जताई और साफ कहा, 'इस राज्य में यह सब क्या हो रहा है? हमें गंभीर संदेह है कि पुलिस कुछ तत्वों के साथ मिली हुई है और एसएसपी भी इसमें शामिल हो सकते हैं.' वहीं कोर्ट ने प्रशासन और पुलिस को इस पूरी घटना के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया. 

डीएम का जवाब

सुनवाई के दौरान जिला मजिस्ट्रेट वंदना सिंह ने वर्चुअल माध्यम से कोर्ट में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि उन्हें पहले से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी, इसलिए मतदान केंद्रों पर सुरक्षा और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे. डीएम ने यह भी कहा कि प्रशासन का इस घटना में कोई हाथ नहीं है और लापता सदस्यों को ढूँढने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. डीएम ने अदालत में यह भी कहा कि अगर  स्थिति नियंत्रण में नहीं आती या अपहृत सदस्य नहीं मिलते हैं, तो प्रशासन चुनाव आयोग को पुनर्मतदान (re-poll) की सिफारिश कर सकता है. अदालत ने इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. 

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