सैयद सालार मसूद की दरगाह पर मेला रद्द! यूपी में परंपरागत मेलों पर क्यों लग रही रोक? जानिए पूरी कहानी
Bahraich News: यूपी सरकार ने बहराइच में भी लगने वाले सैयद सालार मसूज गाजी के दरगाह पर आयोजित होने वाले मेले पर रोक लगा दी. इस संबंध में 12 पन्नों की रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें पहलगाम हिंसा का जिक्र किया गया. बता दें कि 15 मई से मेले के आयोजन की अनुमति मांगी गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया है. फिलहाल इस पर रोक है.;
Bahraich News: उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के मेले को लेकर बड़ा फैसला किया है. प्रशासन ने इस मेले पर रोक लगा दी है. यानी इस बार बहराइच में गाजी की दरगाह पर किसी भी तरह का मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा. इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट एवं सीओ सदर ने बयान जारी किया है.
जानकारी के अनुसार, सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने कहा कि दरगाह प्रबंध समिति ने मेले के आयोजन के लिए प्रशासन को पत्र भेजा था. उन्होंने कहा, पहलगाम पर आतंकी हमले को ध्यान में रखते हुए यह इस बार मेले की अनुमति नहीं दी गई है. जिससे कानून व्यवस्था को लेकर कोई परेशानी न हो.
मेले के आयोजन पर रोक
यूपी सरकार ने बहराइच में भी लगने वाले सैयद सालार मसूज गाजी के दरगाह पर आयोजित होने वाले मेले पर रोक लगा दी. इस संबंध में 12 पन्नों की रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें पहलगाम हिंसा का जिक्र किया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि वर्तमान में देश की शांति व्यवस्था की स्थिति बड़े धार्मिक मेलों के आयोजन के लिए फिलहाल सही नहीं है. बता दें कि 15 मई से मेले के आयोजन की अनुमति मांगी गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया है. फिलहाल इस पर रोक है.
क्यों लिया फैसला?
हाल ही में वक्फ संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल, संभल और प्रयागराज में भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला. बंगाल में तो आगजनी और पत्थरबाजी भी की गई. इस घटना के बाद से प्रशासन को डर है कि कहीं मेले के दौरान कोई अनहोनी न हो जाए. या किसी बात को लेकर दो पक्षों में विवाद न हो जाए. इसलिए मेले के आयोजन को इस साल के लिए रोक दिया गया है. हालांकि मुस्लिम समुदायों के लोगों ने प्रशासन के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है.
दरगाह का निर्माण
जानकारी के अनुसार, 1034ई. में मसूद गाजी का निधन हो गया था. इसके बाद बहराइच में उनकी दरगाह का निर्माण किया गया था. 1250ई. में दिल्ली सुल्तान नसीरुद्दीन महसूद ने इस कब्र को एक मजार का रूप दे दिया. दरगाह को लेकर लोगों की आस्था बढ़ने लगी और सभ मजार पर आने लगे. देखते ही देखते यह दरगाह काफी मशहूर हो गया.