डेढ़ साल के बच्चे की पीठ पर निकली 14 सेमी लंबी पूंछ, लेटने पर होता था दर्द, ऑपरेशन के बाद मिली राहत
उत्तर प्रदेश में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया. डेढ़ साल के एक बच्चे के शरीर से पूंछ जैसी संरचना निकली हुई थी, जो बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ लंबी होती जा रही थी. यह सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं थी, बल्कि बच्चे और उसके परिवार के लिए रोज़ का दर्द और डर बन गई थी. डॉक्टरों ने जब मामले की गंभीरता समझी, तो तुरंत सर्जरी का फैसला लिया;
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने डॉक्टरों से लेकर आम लोगों तक सभी को चौंका दिया है. यहां डेढ़ साल के एक बच्चे की पीठ पर जन्म से ही 14 सेंटीमीटर लंबी पूंछ जैसी संरचना मौजूद थी, जो बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ लंबी होती जा रही थी.
पूंछ की वजह से बच्चा न तो ठीक से पीठ के बल लेट पाता था और न ही आराम से चल पाता था. हल्की सी हरकत पर भी उसे तेज दर्द होता था, जिससे बच्चे और उसके परिवार की परेशानियां लगातार बढ़ रही थीं.
जन्म से मौजूद थी 14 सेंटीमीटर लंबी पूंछ
यह मामला लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में सामने आया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की पीठ पर जन्म से ही पूंछनुमा हिस्सा मौजूद था. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा हो रहा था, यह पूंछ भी बढ़ रही थी और लगभग 14 सेंटीमीटर लंबी हो चुकी थी. बच्चा जब पीठ के बल लेटता या चलने की कोशिश करता, तो उसे तेज दर्द का सामना करना पड़ता. परिजन बताते हैं कि पूंछ को हल्का सा छूने पर भी बच्चा जोर-जोर से रोने लगता था. डॉक्टरों ने जांच में पाया कि यह सिर्फ त्वचा पर मौजूद हिस्सा नहीं था, बल्कि इसका अंदरूनी भाग रीढ़ की हड्डी से जुड़ा हुआ था. ऐसी स्थिति बेहद संवेदनशील मानी जाती है, क्योंकि ज़रा सी लापरवाही भी स्पाइनल कॉर्ड को नुकसान पहुंचा सकती है.
बच्चे की थी ह्यूमन टेल
लखीमपुर के रहने वाले बच्चे को 13 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामले की गहन जांच के बाद डॉक्टरों ने अगले दिन ही सर्जरी करने का कठिन लेकिन ज़रूरी फैसला लिया. बलरामपुर अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर अखिलेश कुमार के अनुसार, यह “ह्यूमन टेल” थी, जो स्पाइनल कॉर्ड की झिल्लियों से गहराई से जुड़ी हुई थी.
डॉक्टर्स ने की सर्जरी
सर्जरी बेहद सावधानी से की गई और करीब डेढ़ घंटे चली. डॉक्टरों की टीम ने हर कदम पर पूरी सतर्कता रखी, ताकि रीढ़ की हड्डी को कोई नुकसान न पहुंचे. यह एक नाजुक ऑपरेशन था, लेकिन सफल रहा. सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ दिन तक आईसीयू में निगरानी में रखा गया.