कुत्ते के काटने से गाय की मौत… दूध से बना प्रसाद खा चुके 130 लोगों ने दौड़कर लगवाया रेबीज का इंजेक्शन
यूपी के गोरखपुर में कुत्ते के काटने से गाय की मौत के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई. जिस गाय के दूध से मंदिर में प्रसाद बनाया गया था, उसे खाने वाले लोगों ने डर के मारे रेबीज का टीका लगाया. दहशत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में जागरूकता अभियान चलाया लोगों को इस बारे में जरूरी जानकारियां दी. तब जाकर मामला शांत हुआ.;
यूपी के गोरखपुर जिले के रामडीह गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब कुत्ते के काटने के बाद एक गाय की मौत रेबीज संक्रमण से हो गई. यह घटना करीब एक सप्ताह पहले की है. खास बात यह है कि जिस गाय कुत्ते के काटने से मौत हो गई, उसी गाय के दूध से मंदिर में प्रसाद तैयार किया गया था. प्रसाद खाने वाले लोगों और उनके परिजन दहशत में आ गए. पूरे गांव खौफ का माहौल बन गया. इस समस्या से निजात पाने के लिए लोग अस्पताल पहुंचे. डॉक्टरों की सलाह पर 130 लोगों ने रैबीज वैक्सीन की पहली डोज लगवाई.
रामडीह में रहते हैं 3000 लोग
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक रामडीह गांव में करीब तीन हजार लोग रहते हैं. गांव के प्रधान अनिल के मुताबिक एक किसान धर्मेंद्र गौड़ जो एक कंपनी में काम करते हैं, की गाय एक सप्ताह पहले अचानक बीमार पड़ गई. धर्मेंद्र ने पशु चिकित्सक से संपर्क किया.
'डॉग बाइट' की सूचना से बना खौफ का माहौल
पशु चिकित्सक ने गाय के लक्षणों के आधार पर कुत्ते के काटने के संकेत बताए, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. इस बीच डॉक्टर ने गाय का एक वीडियो बनाकर वरिष्ठ चिकित्सक जय प्रकाश तिवारी को भेजा. उन्होंने बताया कि मौत की वजह कुत्ते काटने पर रेबीज संक्रमण हो सकता है. अगर लोगों ने उसके बने दूध से प्रसाद खाया है तो, इससे दूसरे लोग भी संक्रमित हो सकते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ने एहतियातन लोगों को रेबीज का टीका लगवाने की सलाह दी.
दूध देने वाली गाय को कुछ दिन पहले आवारा कुत्ते ने काट लिया था. शुरुआत में परिवार ने इस चोट को सामान्य समझ कर कोई गंभीर इलाज नहीं कराया, लेकिन कुछ दिनों बाद गाय में अजीब व्यवहार, पानी से डरना और लगातार बेचैनी जैसे लक्षण दिखने लगे. इसके बाद पशु चिकित्सक ने आशंका जताई कि गाय को रेबीज का संक्रमण हो सकता है.
घटना यहीं नहीं रुकी. पता चला कि गाय की मौत से पहले उसके दूध से मंदिर में प्रसाद (खीर/पायस) बनाया गया था और काफी संख्या में गांव के लोगों ने प्रसाद खाया था. यह खबर फैलते ही लोगों में डर का माहौल बन गया.
सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची और प्रसाद खाने वाले सभी लोगों की सूची तैयार की. डॉक्टरों ने समझाया कि रेबीज वायरस दूध के माध्यम से सामान्य रूप से नहीं फैलता, लेकिन एहतियात के तौर पर वैक्सीन लगवाना बेहतर होगा. इसके बाद एक-एक कर कुल 130 लोगों को अस्पताल ले जाया गया और उनकी रैबीज वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू की गई.
डॉक्टरों ने चलाया जागरूकता अभियान
पशु विभाग ने गांव के अन्य मवेशियों की भी जांच की और ग्रामीणों को रेबीज संक्रमण, कुत्तों के टीकाकरण और समय पर इलाज की अहमियत के बारे में जागरूक किया. गांव के लोगों ने माना कि अगर समय पर गाय का टीकाकरण कराया गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती. फिलहाल सभी लोग सुरक्षित हैं और डॉक्टरों की निगरानी में हैं.
दरअसल, गांव के मंदिर में दो नवंबर 2025 को एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. प्रसाद उसी गाय के दूध से बना था जिसकी कुत्ते के काटने से मौत हो गई.