राजस्थान में अब 50 नहीं, होंगे 41 जिले; भजनलाल कैबिनेट ने क्यों बदला गहलोत सरकार का फैसला?

Rajasthan Cabinet Decisions: राजस्थान में 50 नहीं, 41 जिले होंगे. जी हां. सही सुना आपने. यह निर्णय सीएम भजनलाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया है. कैबिनेट ने गहलोत सरकार के 19 नए जिलों में से केवल 8 को बरकरार रखा है, जबकि 9 को भंग कर दिया है. इसके साथ ही, कांग्रेस की सरकार में बने तीन नए संभागों को भी भंग कर दिया गया है.;

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Rajasthan Cabinet Decisions: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने 28 दिसंबर को बड़ा फैसला लिया. उसने कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार में बने 18 जिलों में से 9 जिलों को भंग कर दिया है, जिसके बाद प्रदेश में कुल 41 जिले होंगे. गहलोत ने विधानसभा चुनाव से पहले 17 जिलों और तीन नए संभागों का एलान किया था. आचार संहिता से पहले हुए इस एलान को अनुचित माना गया है. यही वजह है कि जिलों के नाम रद्द कर दिए गए.

सीएम भजनलाल की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट ने गहलोत सरकार की तरफ से एलान किए गए 19 जिलों में से 9 को अव्यावहारिक माना. उनका मानना था कि इनसे राज्य पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो राज्य के हित में नहीं है. अब राज्य में कुल 41 जिले और 7 संभाग होंगे.


किन जिलों को भंग किया गया?

जिन जिलों को भंग किया गया है, उनमें डूडू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचोर शामिल हैं.

किन जिलों को बरकरार रखा गया?

जिन जिलों को बरकरार रखा गया है, उनमें बालोतरा, ब्यावर, डीग-कुम्हेर, डीडवाना- कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा , फलौदी और सलूम्बर शामिल हैं. इस तरह पिछली सरकार में घोषित 8 जिले ही क्रियाशील रहेंगे. वहीं, बनाए गए नए संभागों में से किसी को बरकरार नहीं रखा गया है.


जुलाई में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का हुआ गठन

सरकार ने नए बनाए गए जिलों और संभागों के अस्तित्व से जुड़े जरूरी पहलुओं की समीक्षा करने के लिए 1 जुलाई को डॉक्टर ललित के. पवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. समिति ने 30 अगस्त को राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंपी. दो सितंबर को समिति ने अपने निष्कर्ष कैबिनेट समिति के सामने पेश किए. जिससे प्रस्तुति के आधार पर फैसला लिया. इस रिपोर्ट में 45 से अधिक विधायकों, 10 से अधिक सांसदों , केंद्र और राज्य सरकार के 5 मंत्रियों , 50 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों , 25 से अधिक ग्राम प्रधानों और 5 जिला प्रमुखों के इनपुट शामिल हैं. इस रिपोर्ट 10 बिंदुओं पर आधारित है. समिति सलूम्बर और नीमकाथाना का दौरा नहीं कर सकी.


कैबिनेट के प्रमुख निर्णय

कैबिनेट की हुई बैठक में ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन का फैसला लिया गया. इसके साथ ही, 2025 में 1 लाख बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने, खाद्य सुरक्षा योजना में नये लाभार्थियों को जोड़ने और सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) का स्कोर अब एक साल की वैधता के स्थान पर तीन साल तक के लिए वैध होने का निर्णय लिया गया.

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