कौन हैं रणजीत सिंह गिल जिन्होंने कल थामा भाजपा का हाथ और आज घर में पड़ गई रेड?

रणजीत सिंह गिल ने हाल ही में शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह आम आदमी पार्टी जॉइन करेंगे, लेकिन उन्होंने पासा पलट दिया और 1 अगस्त को बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी का दामन थामने के अगले दिन ही उनके घर में रेड पड़ गई.;

( Image Source:  x-@TajinderSTS )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 2 Aug 2025 7:47 PM IST

शनिवार 2 अगस्त की सुबह चंडीगढ़ में कुछ अलग ही थी. तड़के पंजाब विजिलेंस विभाग की टीमें कई ठिकानों पर एक साथ पहुंचीं. इन जगहों में सबसे अहम नाम रणजीत सिंह गिल का आवास था. कुछ घंटों पहले ही रणजीत गिल ने भाजपा की सदस्यता ली थी.

शुक्रवार देर शाम चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें भाजपा में शामिल करवाया था. यह घटनाक्रम इसलिए और चौंकाने वाला था क्योंकि हाल ही में गिल ने शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा दिया था. ऐसे में चलिए जानते हैं रणजीत सिंह गिल का इतिहास.

गांव के सरपंच से शुरुआत

रणजीत सिंह गिल का राजनीतिक सफर किसी भी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है. उन्होंने राजनीति में कदम गांव माजरी जट्टां (जिला रूपनगर) के सरपंच के रूप में रखा था. गांव की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत थी और लोगों में उनका अच्छा खासा प्रभाव था. यही स्थानीय लोकप्रियता उनके लिए आगे का रास्ता तय करने वाली साबित हुई.

बिल्डर और बिजनेसमैन: गिल्को ग्रुप के मालिक

राजनीति के साथ-साथ रणजीत गिल का दूसरा चेहरा एक बिल्डर और उद्योगपति का भी है. वे गिल्को ग्रुप के मालिक हैं. एक बड़ा रियल एस्टेट बिजनेस जो पंजाब में कई प्रोजेक्ट्स के लिए जाना जाता है. उनके कारोबारी नेटवर्क की वजह से उनका प्रभाव सिर्फ सियासत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कॉरपोरेट और प्रशासनिक हलकों तक फैला रहा.

अकाली दल में करीबी, फिर दूरी

रणजीत सिंह गिल कभी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के करीबी माने जाते थे. लेकिन समय के साथ पार्टी के भीतर उठते सवाल और गुटबाजी के चलते उन्होंने नाराजगी जताई. उनका कहना था कि पार्टी में वफादार कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है, और यह बात उन्हें अंदर तक खलने लगी. आखिरकार उन्होंने अकाली दल से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के कुछ ही समय बाद खरड़ के विधायक गगन अनमोल मान ने भी पार्टी छोड़ दी, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म हो गई. कयास लगाए जाने लगे कि गिल शायद आम आदमी पार्टी का रुख करें, लेकिन उन्होंने सबको चौंकाते हुए भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया.

खरड़ से दो बार चुनाव, लेकिन हार मिली

राजनीतिक महत्वाकांक्षा गिल के अंदर हमेशा रही. उन्होंने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में खरड़ सीट से किस्मत आजमाई, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. हालांकि हार ने उनके हौसले को कम नहीं किया. उन्होंने लगातार अपने राजनीतिक और सामाजिक संपर्क बनाए रखे और वक्त का इंतजार करते रहे.

भाजपा में एंट्री: अचानक या रणनीति?

शुक्रवार की शाम रणजीत गिल भाजपा में शामिल हुए. अपने इस फैसले पर उन्होंने कहा कि 'पंजाब के बिगड़ते हालात को देखते हुए यह जरूरी है कि यहां भाजपा की सरकार बने. मैं मोदी सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुआ हूं.' लेकिन इसके ठीक अगली सुबह उनके घर विजिलेंस की छापेमारी ने सवाल खड़े कर दिए.

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