मोबाइल की लत ने छीनी जिंदगी की रफ्तार, 6 साल से स्कूल नहीं गया लुधियाना का लड़का; अब अस्पताल में चल रहा इलाज
पंजाब के लुधियाना में एक 18 वर्षीय किशोर को मोबाइल की गंभीर लत लग गई, जिससे वह पिछले 6 वर्षों से स्कूल नहीं गया और अब मानसिक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. बच्चा दिन-रात मोबाइल पर गेम खेलता, वीडियो देखता और किसी से बातचीत नहीं करता था। परिजनों के अनुसार, जब भी उससे मोबाइल छीना जाता, वह हिंसक हो जाता और खुद को कमरे में बंद कर लेता. मानसिक चिकित्सकों के मुताबिक, यह 'फोन एडिक्शन डिसऑर्डर' है, जो शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चों को कमजोर कर रहा है.;
Smartphone addiction in teens: पंजाब के लुधियाना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 18 वर्षीय एक किशोर मोबाइल की लत का ऐसा शिकार हुआ कि उसने पिछले 6 सालों से स्कूल का रुख तक नहीं किया. इलाज के लिए अब उसे मनोचिकित्सक की निगरानी में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. परिवार के अनुसार, लड़का दिन-रात मोबाइल में गेम्स और वीडियो देखकर व्यस्त रहता था. शुरुआत में 6वीं कक्षा तक वह पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन जब से उसके हाथ में स्मार्टफोन आया, उसकी जिंदगी बदल गई.
परिजनों के मुताबिक, वह स्कूल छोड़ चुका है, पढ़ाई और सामाजिक जीवन से पूरी तरह कट गया है. उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया, किसी से बातचीत नहीं करता और मानसिक रूप से टूट चुका है. डॉक्टरों का कहना है कि यह एक गंभीर केस है, जिसे ‘फोन एडिक्शन डिसऑर्डर’ कहा जा सकता है.
परिवार ने की कई बार रोकने की कोशिश
परिजनों ने कई बार उसका मोबाइल बंद करवाया, लेकिन वह हिंसक हो जाता, खुद को नुकसान पहुंचाता. उसके माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा अब वास्तविकता से कट चुका है और वर्चुअल दुनिया में जी रहा है.
डॉक्टर की राय
मनोचिकित्सक डॉ. राघव अरोड़ा के अनुसार, यह एक क्लासिक केस है, जहां मोबाइल की लत मानसिक और शारीरिक दोनों स्तरों पर बच्चों को कमजोर बना देती है. उन्होंने सलाह दी कि बच्चों को केवल ज़रूरत के समय ही फोन दिया जाए.
शोध में बड़ा खुलासा
‘जनरल ऑफ एडोलसेंट हेल्थ’ की एक स्टडी के अनुसार, मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों में आत्महत्या जैसे विचारों की संभावना बढ़ जाती है. यह अध्ययन 28% बच्चों में ऐसे विचार सामने आने की पुष्टि करता है.