प्रॉपर्टी हथियाने के लिए जालसाजों ने शख्स का बनवाया डेथ सर्टिफिकेट, दो विधायकों से कराया वेरीफिकेशन
जिंदा व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) बनाया.जिसका नाम पवन कुमार था. उनका कहना है की जालसाज बबूल ने मेरा डेथ सर्टिफिकेट बनाकर मुझे मरा हुआ घोषित कर दिया.साथ ही मेरी प्रॉपर्टी की पॉवर ऑफ अर्टानी भी अपने नाम कर ली. बने हुए नकली सर्टिफिकेट में पवन की मौत 2015 में ही हो गई थी. लेकिन जब वह आज सरकारी दफ्तर गया तो वहां पर ऐसा कोई रिकार्ड नहीं था.;
जालंधर से एक खबर आ रही है जिसे सुन सभी लोग हैरान रह गए है, खबर है की एक जिंदा व्यक्ति है जिसका डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate )बना दिया गया है. लुधियाना के निवासी पवन कुमार नामक ने इस घटना के बारे में जानकारी दी है. पवन कुमार का कहना है कि जालसाज बबूल ने उनका डेथ सर्टिफिकेट बनाया है.
ऐसा बताया गया है कि परमिंदर सिंह ने पवन कुमार से एक कानूनी तरीके से प्रॉपर्टी खरीदी थी और उसकी रजिस्ट्री करवाई थी, तो जालसाज बबूल ने पवन का डेथ सर्टिफिकेट बनाया और उस प्रॉपर्टी को अपने नाम करने की कोशिश की. यह मामला तब सामने आया जब प्रॉपर्टी के खरीरदार और बेचने वालों के साइन को लेकर दिक्कत हुई. पवन ने बताया की जालसाज बबूल ने मेरा डेथ सर्टिफिकेट बनाकर मुझे मरा हुआ घोषित कर दिया.साथ ही मेरी प्रॉपर्टी की पॉवर ऑफ अर्टानी भी अपने नाम कर ली. बने हुए नकली सर्टिफिकेट में पवन की मौत 2015 में ही हो गई थी. लेकिन जब वह आज सरकारी दफ्तर गया तो वहां पर ऐसा कोई रिकार्ड नहीं था. इस मामले की जांच चल रही है.
सर्टिफिकेट से पत्नी भी निकली नकली
इस मामले में एक बड़ा खुलासा ये भी हुआ कि जिस महिला ने पवन कुमार का डेथ सर्टिफिकेट बनवाया था वह पत्नी नकली थी.खुद को पवन की पत्नी बताने वाली महिला ने डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए दिए गए दस्तावेजों का वेरीफिकेशन लुधियाना के दो विधायकों ने किया. आपको बता दें की इससे पहले यह वेरीफिकेशन पार्षदों द्वारा की जाती थी, लेकिन नगर निगम के जनरल हाऊस का कार्यकाल पूरा होने के बाद पूर्व पार्षदों की वेरीफिकेशन को स्वीकार नहीं किया जा रहा है और यह अधिकार भी विधायकों के पास आ गया है जिनके द्वारा इलाके के किसी जिम्मेदार व्यक्ति की गारंटी के साथ दस्तावेजों की वेरीफिकेशन की जा रही है.
परिवार के सदस्यों के एफिडेविट होना जरुरी
किसी भी व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए लेट एंट्री मामले में परिवार के सदस्यों का एफिडेविट या फिर श्मशान घाट की रसीद होना जरुरी होता है. प्रमाण के तौर पर अस्थी विसर्जन के सर्टिफिकेट या फिर रस्म पगड़ी का कार्ड को भी आधार माना जाता है. इस मामले में ऐसा ही कुछ हुआ है. जिस व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है. उसके नकली दस्तावेज पेश कर डेथ सर्टिफिकेट बनवा कर उसके मरने का दावा किया जा रहा है. जबकी खुद व्यक्ति साक्षात अपना सर्टिफिकेट लेकर घूम रहा है. इस मामले के बाद अस्थि विसर्जन के सर्टिफिकेट पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.