मां की तलाश में रास्ता भूला नन्हा हाथी, बाघों के इलाके में एक हफ्ते तक भटका, ऐसे बची जान
Baby Elephant Rescue: मां की मौत के बाद भटक रहे दो साल के हाथी के बच्चे को बचा लिया गया है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग के 100 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया. इसके अलावा चार प्रशिक्षित बड़े हाथियों की टीम ने भी मदद की. बेबी हाथी को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क पहुंचाया गया है. वहीं, वन विभाग की टीम बफर एरिया में हाथियों की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है.;
Baby Elephant Rescue: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ जिले में हाल की 10 हाथियों के मरने की खबर आई थी जिसके बाद एक दो वर्षीय मादा हाथी का बच्चा एक हफ्ते से अपनी मां की तलाश के लिए हरी- भरी पहाड़ियों, धान के खेतों और सुस्त बस्तियों में घूमता रहा है और अपनी मां को पाने के लिए चिल्ला- चिल्लाकर थक गया था. जिसके बाद वह रास्ता भी भटक गया था, उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीणों ने उसका वीडियो बनाकर वन विभाग को भेज दिया.
जानकारी के मुताबिक, वन्यजीव विभाग पहले से ही हाथियों की मौत के सवालों के घेरे में घिरा हुआ था. यह जानकारी मिलते पर वह घबरा गया और तुरंत उसे शक हुआ कि वह दुर्भाग्यशाली उसी झुंड का लापता मादा हाथी है जिसने कवक से संक्रमित कोदा खाने से 10 हाथियों की मौत हो गई है.
बेबी हाथी के रेस्क्यू में लगे 100 वनकर्मी
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह मादा हाथी झुंड का था. इस हादसे में कुल मिलाकर चार मादा हथियों की मौत हो गई है. एक वयस्क हाथी के अलावा, यह और लगभग 3-4 साल का एक अन्य हाथी का बच्चा, जिसका लिंग हम नहीं जानते, बच गए. हमने हाथी के बच्चे को बचाने के लिए अपनी पूरी टीम लगा दी.'
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रभारी क्षेत्र संचालक अमित दुबे ने बताया कि यह गुड़ा कला गांव है. यह कटनी डिवीजन में पड़ता है. एक हाथी आ गया है जिसमें आयु दो साल मानी जा रही है. इसकी जानकारी कल मिली है. देर रात होने के कारण कल रेस्क्यू नहीं हो सका था इसलिए आज रेस्क्यू किया है. इसमें 4 हाथी लगे थे. 2 कान्हा के और 2 बांधवगढ़ के, इसके अलावा इसमें बांधवगढ़, संजय, उमरिया और कटनी डिवीजन के स्टॉफ लगे थे. करीब 100 आदमी लगे थे.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि अन्य हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके, अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक और हाथियों के मूवमेंट की कोई सूचना नहीं मिली है. सुरक्षा के लिहाज से बफर क्षेत्र में कर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि यदि हाथी उस क्षेत्र में प्रवेश करें या बाहर निकलने की कोशिश करें, तो तुरंत जानकारी प्राप्त हो सके. कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि हाथियों की गतिविधियों के अनुसार सघन गश्त करें. कई टीमें बनाई गई हैं और हाथियों की संख्या और उनकी स्थिति पर प्रतिदिन नजर रखी जा रही है.