MP के मदरसों में 500 से अधिक हिंदू बच्चों को पढ़ाया जा रहा कुरान का पाठ, एनएचआरसी ने सरकार से मांगी जांच

मध्य प्रदेश के मुरैना और शिवपुरी जिलों में सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में लगभग 500 हिंदू बच्चों को कथित तौर पर कुरान और इस्लामी शिक्षा दी जा रही है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बच्चों को इस्लाम में धर्मांतरित करने की साजिश रची जा रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार से जांच और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.;

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मध्य प्रदेश के मुरैना और शिवपुरी जिले में स्थित कुछ सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में लगभग 500 हिंदू बच्चों के दाखिले को लेकर विवाद सामने आया है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इन बच्चों को कुरान और अन्य इस्लामी शिक्षाएं पढ़ाई जा रही हैं और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित करने की साजिश रची जा रही है. इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को की गई है और आयोग ने इसे जांच के लिए मध्य प्रदेश सरकार को भेज दिया है.

एनएचआरसी के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने कहा, “हमें मुरैना और शिवपुरी के सरकारी मदरसों में हिंदू बच्चों के दाखिले की शिकायतें मिली हैं. आरोप है कि इन बच्चों को इस्लाम में धर्मांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे मामलों की गंभीरता को देखते हुए हमने शिकायत मध्य प्रदेश सरकार को जांच के लिए भेज दी है.”

एनएचआरसी ने मांगी रिपोर्ट

एनएचआरसी ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आरोपों की जांच करने और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. आयोग ने 26 सितंबर को लिखे गए पत्र में बताया कि शिकायतकर्ता ने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में 556 हिंदू बच्चों को 27 अनधिकृत मदरसों में दाखिला दिलाने और उन्हें धर्मांतरित करने के प्रयास की जानकारी दी है.

आरोपों का विवरण

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुरैना, इस्लामपुरा, जौरा, पौरसा, अंबाह, कैलारस और संबलगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित ये मदरसे किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का उल्लंघन करते हुए बिना सरकारी अनुमति के हिंदू नाबालिगों को कुरान और हदीस पढ़ा रहे हैं. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 28(3) और 16 अगस्त, 2024 के मध्य प्रदेश सरकार के आदेश का भी उल्लंघन है, जो गैर-इस्लामी बच्चों को मदरसों में पढ़ने से रोकता है.

अवैध फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि इस रैकेट में अवैध विदेशी फंडिंग और राष्ट्र-विरोधी तत्वों का संबंध हो सकता है. एक साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है. आयोग ने अधिकारियों से अनुरोध किया है कि एफआईआर दर्ज की जाए, प्रभावित बच्चों को बचाया जाए, मदरसा संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और इस अवैध धर्मांतरण नेटवर्क की जांच के लिए बहु-एजेंसी उच्च-स्तरीय टीम बनाई जाए.

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