मिल गए ब्रह्माजी! हजारों साल पहले आक्रांताओं का कहर, शिप्रा नदी के रामघाट पर मिले प्रमाण
Brahma Temple in Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के रामघाट पर ब्रह्माजी के हजारों साल पुराने मूर्ती के अवशेष मिले है. इसे लेकर पुरातत्व विभाग ने कई दावा किया हैं. बताया गया है कि प्राचीन समय में उज्जैन में कई मंदिरों की श्रृंखला रही है. प्राचीन समय में राजाओं ने यहां कई मंदिरों की स्थापना करवाई थी.;
Brahma Temple in Ujjain: भारत में ब्रह्माजी के बहुत कम ही मंदिर देखने को मिलता है. हालांकि, ऐसा दावा है कि राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर है. हालांकि, इन दावों का खंडन एक वैज्ञानिक खोज में किया जा रहा है, जहां मध्य प्रदेश के उज्जैन में मोक्षदायिनी कही जाने वाली शिप्रा नदी के किनारे रामघाट पर भी ब्रह्माजी का मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं. इसकी खोज भारतीय पुरातत्व विभाग ने की है.
पुरातत्व विभाग ने अपनी जांच के आधार पर बताया है कि शिप्रा के तट पर ब्रह्माजी का विशाल मंदिर रहा होगा. भारत पर लगातार आक्रमण कर रहे आक्रांताओं ने इसे ध्वस्त कर दिया होगा. हालांकि, बाद में ब्रह्माजी की मूर्ती के अवशेष को लेकर इसे पून: स्थापित करने की कोशिश की गई थी, जिसके अवशेष अब जाकर मिले हैं.
उज्जैन में कई मंदिरों की शृंखला
नई दुनिया वेबसाइट पोर्टल के मुताबिक, विक्रम विश्व विद्यालय के पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने बताया कि प्राचीन समय में उज्जैन में कई मंदिरों की शृंखला रही है. यहां का मूर्ति शिल्प के कई अद्भुत कलाओं का इतिहास रहा है. प्राचीन में कई राजाओं ने कई मंदिरों की स्थापना करवाई थी. इसके साथ ही मूर्तियों का भी निर्माण कराया था.
उज्जैन में रामघाट स्थित सीढ़ियों पर मिले भगवान ब्रह्मा तथा अग्निदेवता की मूर्तियां मृद्ध शिल्प व मूर्ति कला के प्रमाण हैं. यह दोनों मूर्तियां एक हजार साल पुरानी बताई गई है. चतुर्मुख ब्रह्मा की यह मूर्ति उच्चकोटी की है. इसे बनाने में हस्तकला के उच्च कोटी का उपयोग किया गया है. इसमें तीन मुख सामने की ओर है, चौथा मुख दीवार में दबा हुआ है. ब्रह्माजी के हाथ में हवन में आहुति देने के लिए श्रुवा है. इसे परमार काल से जुड़ा बताया जा रहा है.
राजस्थान में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर होने का दावा
पुष्कर में ब्रह्माजी का मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है. यह मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है और इसे भगवान ब्रह्मा को समर्पित किया गया है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यह भारत में भगवान ब्रह्मा का एकमात्र प्रमुख मंदिर है। यहां आने वाले श्रद्धालु ब्रह्मा जी की पूजा-अर्चना करते हैं और इसे धार्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थल मानते हैं. मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर है, जिसमें संगमरमर का उपयोग किया गया है. यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का भी है. पुष्कर मेले के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है, जो विशेष रूप से ब्रह्मा जी की कृपा प्राप्त करने के लिए आते हैं.