पीरियड्स नहीं बनेगी पढ़ाई में रुकावट, जबलपुर के स्कूलों में लगी मशीन, फ्री में बटन दबाते ही मिलेगा पैड

जबलपुर नगर निगम ने एक सराहनीय पहल करते हुए चार सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाई हैं. इस सुविधा से छात्राओं को पीरियड्स के दौरान स्कूल छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, जिससे उनकी पढ़ाई और आत्मविश्वास दोनों में सुधार आएगा.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 28 Oct 2025 6:11 PM IST

भारत में आज भी पीरियड्स को लेकर कई तरह की झिझक और सामाजिक असहजता बनी हुई है, जिससे खासकर स्कूल जाने वाली किशोरी छात्राओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस कारण कई बार छात्राएं पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं जा पातीं, जिससे उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है.

लेकिन मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में इस समस्या को लेकर एक अनोखी और सकारात्मक पहल की गई है. नगर निगम जबलपुर ने जिले के चार सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाई हैं, जिससे छात्राओं को अब इन दिनों पढ़ाई में रुकावट नहीं आएगी.

समस्या से समाधान की ओर कदम

स्कूलों में पढ़ने वाली कई छात्राएं पीरियड्स के दौरान पैड न होने या शर्म के कारण स्कूल से गैरहाज़िर रहती थीं. इससे उनकी सेहत पर भी असर पड़ता और एकेडमिक ग्राफ भी गिरता है. इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए जबलपुर नगर निगम ने चार सरकारी स्कूलों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाई हैं. जैसे ही छात्रा मशीन में बटन दबाती है, उसे तुरंत सेनेटरी पैड मिल जाता है, और वह बिना किसी झिझक के पढ़ाई जारी रख सकती है.

किन स्कूलों में शुरू हुई सुविधा?

नगर निगम ने जिन चार स्कूलों में इस पहल की शुरुआत की है, इनमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद उच्चतर माध्यमिक शाला, गौरीघाट, गोविंदगंज माध्यमिक शाला, तिलवारा घाट, उच्चतर माध्यमिक शाला, घमापुर और कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, गोविंदगंज शामिल है. इन सभी स्कूलों में मशीनें स्कूल परिसर के भीतर ही लगाई गई हैं, जिससे छात्राओं को बाहर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है.

क्या बोले अधिकारी और स्कूल प्रबंधन?

नगर निगम कमिश्नर प्रीति यादव ने बताया कि यह पूरी पहल सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के अंतर्गत की गई है. अभी इसे शुरुआती चरण में फ्री रखा गया है, और प्रतिक्रिया अच्छी मिली है. उनका कहना है कि पहले छात्राओं को पैड के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता था, जो ना सिर्फ अनकंफर्टेबल होता था बल्कि सुरक्षित भी नहीं था. अब सुविधा स्कूल के भीतर उपलब्ध है, जिससे छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ा है.

सिर्फ सुविधा नहीं, सोच में भी बदलाव

इस पहल का महत्व सिर्फ इस बात में नहीं है कि छात्राओं को अब स्कूल में ही सेनेटरी पैड मिल रहे हैं, बल्कि यह एक सामाजिक सोच में बदलाव की शुरुआत भी है. आज भी ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में पीरियड को लेकर चुप्पी और शर्म का माहौल है, जहां लड़कियों को साफ-सफाई और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में स्कूल जैसे संस्थान में इस सुविधा का मिलना लड़कियों के कॉन्फिडेंस और सम्मान दोनों को बढ़ाता है.

यह पहल उन्हें यह संदेश देती है कि मासिक धर्म कोई बीमारी या शर्म की बात नहीं, बल्कि एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है और इस दौरान उनकी शिक्षा नहीं रुकनी चाहिए. अब जरूरत है कि यह कदम पूरे राज्य और देशभर के स्कूलों तक पहुंचे, ताकि हर लड़की बिना किसी झिझक और रुकावट के शिक्षा का अधिकार पा सके.

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